नई दिल्ली, 18 जून (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने एक साक्षात्कार में आपातकाल की आशंका क्या जता दी, उनके बयान के बहाने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) सहित सभी विपक्षी पार्टियों ने गुरुवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर करारा हमला किया।
कांग्रेस के प्रवक्ता टॉम वदक्कन ने कहा कि केवल उनकी पार्टी ही केंद्र सरकार पर सवाल नहीं उठा रही है, बल्कि भाजपा के वरिष्ठ नेता भी सरकार के रवैए पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
कांग्रेस के एक अन्य प्रवक्ता संजय झा ने ट्वीट किया, “अधिनायकवादी प्रणाली भारत को धीरे-धीरे दबाती जा रही है। आडवाणी जी की चेतावनी ने हमारी आशंका की पुष्टि कर दी है।”
वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को आडवाणी के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने देश में फिर से आपातकाल जैसे हालात पैदा होने के संकेत दिए हैं।
केजरीवाल ने आडवाणी के बयान को दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले के अधिकार सहित विभिन्न मुद्दों पर जारी गतिरोध और दिल्ली की भारी जनादेश प्राप्त सरकार को कमजोर करने की चली जा रही चाल से जोड़ा।
केजरीवाल ने अपने एक ट्वीट में कहा, “आडवाणीजी का यह कहना सही है कि आपातकाल जैसी स्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता। क्या केंद्र की सत्ता में बैठे लोग सबसे पहले दिल्ली में इसका प्रयोग करेंगे?”
आप नेता आशुतोष ने भी इस मामले पर ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि आडवाणी को मोदी की राजनीति पर भरोसा नहीं है।
उन्होंने कहा, “आडवाणी के बयान का आशय यह है कि मोदी के नेतृत्व में लोकतंत्र सुरक्षित नहीं है और इमरजेंसी ज्यादा दूर नहीं है।”
आप नेता ने कहा, “जब मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया था, आडवाणी ने उस समय अपने ब्लॉग में मुसोलिनी और हिटलर का जिक्र किया था। वह मोदी के शासन को देखते हुए देश के भविष्य की ओर इशारा कर रहे थे।”
बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (युनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार ने कहा कि आडवाणी एक वरिष्ठ नेता हैं और उनके भय और चिंता पर ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने पटना में संवाददाताओं से कहा, “भाजपा नेता का बयान, जिसमें उन्होंने कहा है कि मौजूदा समय में लोकतंत्र को कुचलने वाली ताकतें संवैधानिक और कानूनी उपायों के बावजूद मजबूत होती जा रही हैं, काफी हद तक सही हैं।”
भाजपा के प्रवक्ता एम.जे. अकबर ने सफाई दी कि आडवाणी संगठनों की बात कर रहे थे, न किसी एक व्यक्ति की। साथ ही उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि देश में आपतकाल जैसी स्थिति की संभावनाएं हैं।”
आडवाणी ने आपातकाल के 40 साल पूरे होने के अवसर पर अंग्रेजी समाचार-पत्र ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए साक्षात्कार में कहा, “देश में अब भी ऐसी ताकतें मौजूद हैं, जो लोकतंत्र को कुचल सकती हैं और ऐसी ताकतें अब पहले से कहीं अधिक ताकतवर हैं।”
उन्होंने कहा कि उनका मतलब यह नहीं है कि राजनीतिक नेतृत्व अपरिपक्व है। उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी कमजोरियों की वजह से भरोसा नहीं है।
बकौल आडवाणी, वह भरोसे के साथ नहीं कह सकते कि भारत में फिर आपातकाल लागू नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा, “वर्ष 2015 की ही बात करें, तो भी आपातकाल जैसी स्थिति को रोकने के उपाय मौजूद नहीं हैं।”
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 25-26 जून 1975 को देश में आंतरिक आपातकाल लगाया गया था। यह आपातकाल 19 महीनों तक जारी रहा था।