कोलकाता, 24 फरवरी (आईएएनएस)। सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी कोल इंडिया (सीआईएल) ने मंगलवार को कहा कि वह केंद्रीय इस्पात मंत्रालय के साथ निजी संयुक्त उपक्रम से बाहर निकल सकती है।
कंपनी के निदेशक मंडल की बैठक में बोर्ड सदस्यों के सुझावों के बाद यह फैसला किया गया।
कोल इंडिया के सचिव एम. विश्वनाथन ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में कहा है, “सीआईएल बोर्ड ने 13 फरवरी को आयोजित बैठक में यह फैसला किया कि सीआईएल को इंटरनेशनल कोल वेंचर्स (आईसीवीपीएल) से बाहर निकलना चाहिए।”
आईसीवीपीएल में सीआईएल की 28 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जिससे वह बाहर निकलना चाहती है।
विदेशों में धातुकर्म कोयला और थर्मल कोयला परिसंपत्तियों को सुरक्षित रखने के उद्देश्य के साथ कोल इंडिया का अग्रणी सरकारी कंपनियों के साथ समझौता हुआ है। कंपनी ने 2019-2010 तक लगभग 50 करोड़ टन शुद्ध कोयले आरक्षित रखने का लक्ष्य रखा है।
कोल इंडिया की स्थापना 2009 में हुई थी। कोल इंडिया के संयुक्त उपक्रम में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया, कोल इंडिया, एनटीपीसी, नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन और राष्ट्रीय इस्पात निगम जैसी नवरत्न कंपनियां शामिल हैं।
कोल इंडिया को औपचारिक रूप से नवरत्न का दर्जा प्राप्त हुए बिना ही मौजूदा नवरत्न कंपनियों के मुताबिक ही स्वायत्ता और स्वतंत्रता प्राप्त है।
आईसीवीपीएल वेबसाइट के मुताबिक, “आईसीवीएल की शुरुआती अधिकृत पूंजी 10,000 करोड़ रुपये तक है। कंपनी के सदस्यों ने निवेश अवसरों के आधार पर शुरुआती शेयर पूंजी 3,500 करोड़ रुपये एकत्रित की है।”