वर्ष 2015 में राज्य सरकार ने पहली बार गेहूं खरीद में आढ़तियों को छूट दी थी। सरकार की क्रय एजेंसियों के अलावा आढ़तियों ने भी 4.33 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद किसानों से की है, जिसकी डेढ़ फीसद धनराशि कमीशन के रूप में आढ़तियों को दी जानी है।
कमीशन की राशि को लेकर राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र भेजा है। इसमें पंजाब और हरियाणा के आढ़तियों को दिए जा रहे कमीशन का हवाला देते हुए प्रदेश में गेहूं की खरीद करने वाले आढ़तियों को कमीशन देने की मांग की गई है। केंद्र से राशि न मिलने पर कमीशन की राशि राज्य सरकार को अपने खजाने से देनी होगी।
विदित हो कि गेहूं की सरकारी खरीद शुरू होने से पहले भी राज्य सरकार ने केंद्र को प्रस्ताव भेजकर आढ़ती कमीशन मांगा था, लेकिन इसके लिए केंद्र ने मना करते हुए सहकारी समितियों को कमीशन देने की बात मानी थी।
केंद्र सरकार के दिशानिर्देश के बाद राज्य सरकार ने पहली बार सहकारी समितियों को भी गेहूं खरीद में लगाया था।
सूत्रों का कहना है कि खरीद शुरू होने के कुछ दिन पहले राज्य सरकार द्वारा घोषित की गई गेहूं खरीद नीति में सहकारी समितियों, क्रय एजेंसियों के साथ-साथ आढ़तियों को भी खरीद में लगा दिया गया था।