नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। सरकार ने मंगलवार को कहा कि प्रस्तावित वित्तीय संकल्प और जमा बीमा (एफआरडीआई) विधेयक, 2017 में जमाकर्ताओं के ‘वर्तमान अधिकारों की सुरक्षा की गई है और उसे बढ़ाया गया है तथा वित्तीय कंपनियों के व्यापाक और कुशल समाधान शासन लाने की कोशिश है।’
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, वर्तमान में समाधान के लिए कोई व्यापक और एकीकृत कानूनी ढांचा नहीं है, जिसमें ‘भारत में वित्तीय कंपनियों का तरलीकरण भी शामिल है।’
मंत्रालय ने कहा कि वर्तमान समाधान ढांचा जो संबंधित कानूनों के तहत उपलब्ध है, वह काफी सीमित है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “वर्तमान समाधान प्रणाली खासतौर से निजी क्षेत्र की वित्तीय कंपनियों के लिए उनके महत्वपूर्ण विस्तार को देखते हुए विशेष रूप से अनुपयुक्त है, क्योंकि इनमें से कई भारत में प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण स्थिति प्राप्त कर रहे हैं।”
बयान में कहा गया, “दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 ने देश में मुख्य रूप से गैर-वित्तीय कंपनियों के लिए एक व्यापक समाधान शासन की शुरुआत की है, लेकिन वित्तीय संस्थाओं के लिए इस तरह की व्यवस्था देश में उपलब्ध नहीं है।”
मंत्रालय ने कहा कि एफआरडीआई विधेयक एक ‘समाधान निगम’ और एक व्यापक शासन स्थापित करने का प्रस्ताव करता है ताकि एक असफल वित्तीय फर्म को समयबद्ध और व्यवस्थित समाधान के लिए सक्षम किया जा सके।