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चतुर चरणदास और उसका आम आदमी

April 3, 2015 9:50 am by: Category: ब्लॉग से Comments Off on चतुर चरणदास और उसका आम आदमी A+ / A-

708x565xrk-laxman.jpg.pagespeed.ic_.Jo_qPU2vxGहस्तिनापुर की नाल में खूंटा गाड़ने के बाद चतुर चरणदास ने अरस्तू और चाणक्य की ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाते हुए राजनीति के दर्शन पर अपना पहला प्रवचन दिया। विषय था आम आदमी बनाम खास आदमी। आम आदमी वह है जो ईमानदार है और खास आदमी वह है जो बेईमान है। इस विभाजन को गरीबी और अमीरी के नजरिए से मत देखिए। गरीब भी बेइमान होता है और अमीर भी ईमानदार। यह परिभाषा चतुर चरणदास की पार्टी के लिए असीम संभावनाओं का द्वार खोलती है। अभी तक आम आदमी की अपनी-अपनी परिभाषा होती थी। कम्युनिस्ट इस वर्ग को सर्वहारा कहते है। सर्वहारा मतलब सब कुछ हार जाने वाला। चतुर चरणदास इसे नए नजरिए से देखते हैं। उनका सर्वहारा पाण्डवों जैसा है। पाण्डव कौरवों से जुएं में बीबी समेत सब कुछ हारकर सर्वहारा बन गए थे। वे सर्वहारा के बावजूद राजा तो बने ही रहे। इसे भाजपाई अन्त्योदयी कहते हैं। अन्त्योदयी बोले तो  जिसे धक्का देकर मुख्यधारा से खदेड़ दिया जाता है और वह लाइन के अंत में खड़े-खड़े मुख्यधारा की ओर ताकता रहता है। समाजवादियों का आम आदमी सीधे भगवान होता है- जनता-जनार्दन। वे जनार्दन की गर्दन पर चढ़कर सत्ता के सिंहासन तक पहुंचते हैं। मुलायम या लालू की भांति जब सिंहासन पर बैठ जाते हैं तो उसी जनता-जनार्दन का मर्दन करने की लीला रचाते हैं। कांग्रेस का आम आदमी कौन है, इसे जनार्दन द्विवेदी से बेहतर राष्ट्रीय दमाद राबर्ट बाड्रा बताते हैं। बाड्रा के अनुसार आम आदमी कुछ नहीं वह मैंगो-पीपुल होता है। जिस तरह मैंगों को चूस कर गुठली में बदल दिया जाता है, उसी तरह आम आदमी नेताओं के चूसने के काम आता है। गुठली में बदल जाने के बाद भी बड़े काम का होता है इसलिए ‘आम के आम गुठलियों के दाम’ होते हैं। राहुल गांधी की परिभाषा के अनुसार आम आदमी, एक मानसिक बीमारी का नाम है जो चौबिसों घंटे अपनी गरीबी के बारे में सोचता रहता है। यदि कोई अधनंगा, भूखा, झुग्गीवासी यह सोचना शुरू कर दें कि वस्तुत: वो जहां रहता है वही उसके लिए 10 जनपथ है। जो खाता है वही मालपुआ है और जो पहने है वही रेशमी परिधान है तो वह खास आदमी बन जाता है। अमीरी और गरीबी दिमागी संतुलन का खेल है। इस तरह अपने देश में  सबके अपने-अपने आम आदमी हैं।
चतुर चरणदास जिस दिन हस्तिुनापुर की नाल पर खूंटा गाड़ने जा रहा था, उसकी पूर्व रात्रि जब वह अरस्तू और चाणक्य को पढ़ने के बाद सोया तो सपने में वीपी सिंह आ गए। वही फकीर वीपी सिंह जो कुछ वर्षों के लिए देश की तगदीर बने। कांग्रेस की पीठ पर उस्तराघात करते ही उन्हें तीन तरक्की एक साथ मिली थी। मंत्री पद छोड़ते ही राजा बन गए फिर फकीर और अन्तत: देश की तगदीर। सो वीपी सिंह ने चरणदास से कहा- बेटा बिलकुल सही लाइन पर जा रहे हो.. मेरी तरह। मैने जनमोर्चा बनाया, तो कहा यह सामाजिक आन्दोलन है  मैं कभी चुनाव नहीं लड़ूंगा। तुम्हारी तरह जनता की राय पूछी तो उसने कहा लड़ो… मैं इलाहाबाद से लोकसभा लड़ गया। पर अड़ गया कि मौका मिला तो प्रधानमंत्री नहीं बनूंगा। जनता ने प्रधानमंत्री बनने के लिए मजबूर कर दिया। अब एजेन्डा खतम। तब मैने सोचा जनता को क्यों न दो भागों में बांट दिया जाए, सो मैने देश को अगड़े और पिछड़े में बांट दिया। अगड़े वो जो ऊंची जाति में पैदा हुए ,भले ही भिखमंगे हों और दिल्ली में मूंगफली बेंचते हों। पिछड़े वो जो मझोली और नीची जाति में पैदा हुए हैं। वे चाहे फाइव स्टार में मलाई ही क्यों न छाने पिछड़े ही माने जाएंगे। कहने का मतलब यह कि जब कोई एजेन्डा न हो, तो लोगों को ऐसे ही मुद्दों का डंडा पकड़ा दो। वे एक दूसरे पर डंडहाव करते रहेंगे जैसे कि हमारे पीरियड में किया था और आप चैन की वंशी बजाते हुए राज करिए। चरणदास ने पूछा- राजा साहब ये आम आदमी तो मूड़े आ गए इनसे कैसे निपटें। वीपी राजा ने सुझाया आम आदमी और खास आदमी के बीच ऐसा गड्डमगड्ड कर दो कि साल-दो-साल लोग यही जानने में लगे रहें कि कौन आम आदमी और कौन खास आदमी। सपने में वीपी राजा से मिली टिप्स के आधार पर दूसरे दिन चरणदास ने आम आदमी की यह नई थ्योरी पेश की। यह थ्योरी अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी लागू हो सकती है। मसलन दुनिया के सबसे अमीरों में, वॉरेन वफे, मार्क जुकरवर्ग, बिल गेट सीधे आम आदमी माने जाएंगे। इण्डिया में अजीम प्रेमजी, रतन टाटा, नारायण मूर्ति से बढ़कर आम आदमी कौन हो सकता है। ये सबके सब ईमानदार, सदाशयी, परमदानी और परोपकारी हैं- चरणदास की आम आदमी की परिभाषा में बिलकुल फिट बैठते हैं। अब कोई आटो वाला बेटे की बढ़ी फीस के लिए चवन्नी की चीट की तो आम आदमी के बाड़े से बाहर। रेहड़ी वाले ने डांडी मारकर दो आलू कम कर तौल दिया तो समझो वो डायरेक्ट खास आदमी बन गया। चतुर चरणदास का नया गेम वैसे ही समझा जा सकता है जैसे वनरूम फ्लैट से टेन बेडरूम बंगले में जम्प। मान गए चरणदास। सत्ता रानी को भोगो, राज करो, सोने की थाली में खाओ, पालकी ढोने के लिए ये आम आदमी हैं न।

जयराम शुक्ला के ब्लॉग से(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

चतुर चरणदास और उसका आम आदमी Reviewed by on . हस्तिनापुर की नाल में खूंटा गाड़ने के बाद चतुर चरणदास ने अरस्तू और चाणक्य की ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाते हुए राजनीति के दर्शन पर अपना पहला प्रवचन दिया। विषय था आम हस्तिनापुर की नाल में खूंटा गाड़ने के बाद चतुर चरणदास ने अरस्तू और चाणक्य की ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाते हुए राजनीति के दर्शन पर अपना पहला प्रवचन दिया। विषय था आम Rating: 0
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