उन्होंने कहा, “जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी देश में दो विधान दो निशान के खिलाफ थे। कश्मीर में परमिट प्रथा के विरोध में उन्होंने जनजागरण खड़ा किया, जिसके कारण आज भी कश्मीर का स्वरूप सुरक्षित है। देश की आजादी के बाद औद्योगिक क्रांति लाने में उनका योगदान अनुकरणीय है।”
कौशिक ने कहा, “शिक्षाविद्, प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी मानवता के सच्चे उपासक थे। बतौर शिक्षाविद् राष्ट्र में बेहतर शिक्षा प्रणाली विकसित करने में उनका भूमिका अहम रही है।”
उन्होंने कहा कि डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के सपनों को पूरा करने उनके आदर्शो पर चलकर उन्नत भारत के संकल्प को पूरा करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।