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छत्तीसगढ़ के पिछड़े गांवों को गोद ले रही कांकेर पुलिस

रायपुर/कांकेर, 10 नवंबर (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले की पुलिस इन दिनों जिले के पिछड़े हुए गांवों में काम कर रही है। यह पहला प्रयोग है, जिसके तहत कांकेर पुलिस ने एक गांव गोद लिया है, जो पहाड़ी के ऊपर स्थित है और यहां पर यदि कोई आपात स्थिति हो जाए तो शहर तक आने में ही दिनभर लग जाते हैं। ऐसे हालात से बचने के लिए ही पुलिस ने मोर मितान कांकेर अभियान शुरू किया है। कांकेर पुलिस की ओर से किया जा रहा यह प्रयोग प्रदेश में अपनी तरह का अनूठा प्रयोग है।

रायपुर/कांकेर, 10 नवंबर (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले की पुलिस इन दिनों जिले के पिछड़े हुए गांवों में काम कर रही है। यह पहला प्रयोग है, जिसके तहत कांकेर पुलिस ने एक गांव गोद लिया है, जो पहाड़ी के ऊपर स्थित है और यहां पर यदि कोई आपात स्थिति हो जाए तो शहर तक आने में ही दिनभर लग जाते हैं। ऐसे हालात से बचने के लिए ही पुलिस ने मोर मितान कांकेर अभियान शुरू किया है। कांकेर पुलिस की ओर से किया जा रहा यह प्रयोग प्रदेश में अपनी तरह का अनूठा प्रयोग है।

पहले चरण में ऐसे गांव के रूप में कांकेर से 16 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत मरदापोटी के आश्रित गांव जिवलामारी व मरार्पी को चुना गया है। पहाड़ी पर बसे इन गांव में न तो बिजली है और न ही आने-जाने के लिए सड़क।

एसपी यहां की जमीनी हकीकत जानने के लिए पहाड़ी की चढ़ाई कर जिवलामारी गांव पहुंचे। प्राथमिकता को देखते मरार्पी को गोद लेकर यहां सबसे पहले सड़क बनाने का फैसला लिया। इसके लिए 10 नवंबर से काम शुरू होगा। इसके लिए मरदापोटी में उसके आश्रित ग्रामों की ग्रामीणों की बैठक भी रखी गई है। इसमें बस्तर संभाग के आईजी भी शामिल होंगे। यहां ग्रामीणों से उनकी समस्याओं को जानकर दूर किया जाएगा।

एसपी के.एल. ध्रुव ने कहा कि मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूर मरार्पी के ग्राम पंचायत मुख्यालय मरदापोटी जाने तक तो पक्की सड़क है, लेकिन छह किलोमीटर की दूरी में सड़क नहीं है। दो किलोमीटर तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़क है। इसके बाद दो किलोमीटर जंगल व दो किलोमीटर पहाड़ी चढ़ाई है। इसमें पैदल चलकर ही ग्रामीणों को जाना होता है।

उन्होंने जानकारी दी कि पुलिस यहां पहले अपने स्तर पर श्रमदान कर छोटे वाहन चलने लायक सड़क बनाएगी। इसके बाद जिला प्रशासन की मदद से यहां पक्की सड़क बनाई जाएगी।

पहाड़ी पर बसा मरार्पी गांव 50 साल से भी पुराना है। इसकी जनसंख्या 360 है। यहां के ग्रामीण रोजमर्रा के कामों व जरूरत के लिए पहाड़ी से उतरकर नीचे पीढ़ापाल, गुमझीर, इरादाह तक पहुंचते हैं। बच्चे भी स्कूल के लिए रोज पैदल ही आते-जाते हैं। सड़क नहीं होने के कारण सबसे अधिक गर्भवती महिला व मरीजों को लाने ले जाने में ग्रामीणों को परेशानी होती है। इन्हें सड़क तक खाट में लेटाकर लाया जाता है। इसके अलावा गांव के कई पारों में बिजली भी नहीं है।

जनपद सदस्य राजेश भास्कर ने कहा कि इरादाह से मरार्पी तक 2.26 करोड़ रुपये की लागत से छह किलोमीटर लंबी सड़क प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बननी थी। ठेकेदार ने मात्र दो किलोमीटर सड़क बनाया और इसके बाद काम बंद कर दिया। आज तक आगे सड़क नहीं बनाई जा सकी है। इससे मरार्पी के ग्रामीण परेशान हैं।

एसपी ने कहा, “बुनियादी सुविधाओं से दूर गांव में पुलिस काम करना चाहती है। इसके लिए मोर मितान कांकेर कार्यक्रम चलाया जा रहा है। पहले चरण में पहाड़ी में बसे गांव मरार्पी तक अपने स्तर पर सड़क बनाने की योजना है। इसके लिए पुलिस जवान श्रमदान करेंगे। पक्की सड़क बनाने जिला प्रशासन से मदद लेकर उन्हें सुरक्षा देंगे।”

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