Friday , 29 March 2024

ब्रेकिंग न्यूज़
Home » ख़बरें अख़बारों-वेब से » ‘तहलका’ पर एक और संकट, पत्रकारों की पूरी टीम ने उठाया ये बड़ा कदम…

‘तहलका’ पर एक और संकट, पत्रकारों की पूरी टीम ने उठाया ये बड़ा कदम…

September 18, 2016 5:47 pm by: Category: ख़बरें अख़बारों-वेब से Comments Off on ‘तहलका’ पर एक और संकट, पत्रकारों की पूरी टीम ने उठाया ये बड़ा कदम… A+ / A-

दिल्ली -खोजी और तथ्यपरक पत्रकारिता के लिए जानी जाने वाली मैगजीन तहलका इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है। आलम ये है कि न तो यहां पिछले कई महीनों से समय पर सैलरी मिल रही है और न ही यहां के कर्मचारियों की कोई सुनवाई हो रही है। इस वजह से यहां की हिंदी विभाग की पूरी टीम ने एक साथ प्रबंधन को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।

तहलका हिंदी के इन कर्मियों में कार्यकारी संपादक बृजेश सिंह के साथ प्रशांत वर्मा, मीनाक्षी तिवारी, अमित सिंह, कृष्णकांत, दीपक गोस्वामी शामिल हैं।

समाचार4मीडिया के पास मीडियाकर्मियों द्वारा चेयरमैन को भेजी एक आंतरिक ई-मेल की कॉपी मौजूद है, जिसे आप यहां पढ़ सकते हैं :

आदरणीय चेयरमैन सर,

पिछले कुछ महीनों से तहलका ऐतिहासिक संकट के दौर से गुजर रहा है। इस बारे में आपको तमाम मेल किए गए। मैसेज से सूचनाएं दी गईं। ऑफिस के अधिकारियों से भी आपको यहां की स्थिति का अंदाजा होगा ही। कल हमने आपको सारी स्थिति बताने की गरज से एक मेल किया था, लेकिन हमेशा की तरह उस पर भी आपकी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। जिस हिंदी तहलका की आप सरेआम तारीफ करते हैं, संकट के समय में भी उसकी ओर ध्यान न देना और अपने कर्मचारी पत्रकारों को मानसिक प्रताड़ना के लिए अकेला छोड़ देना यह दिखाता है कि आप इसे लेकर कितने गंभीर है।

जिस तहलका ने भ्रष्टाचार और शोषण के खिलाफ अभियान चलाकर कीर्तिमान कायम किया, आज उसी तहलका के पत्रकार खुद शोषण का शिकार हैं। उन्हें ऑफिस में एक पंखा लगवाने के लिए महीने भर जीएम से बहस करनी पड़ती है। महीनों से हम सारी स्थितियां आपको बता रहे हैं, लेकिन आपने कोई हस्तक्षेप नहीं किया। हमारी जानकारी में आप संसद सदस्य भी हैं। क्या एक कर्मी के नाते न सही, पर हमारे मानवाधिकार हनन के नाते ही आपको हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था? लेकिन आपने ऐसा नहीं किया।

यहां पर दो साल से लोगों को नियमित सैलरी नहीं मिल रही है। तहलका तब भी हम निकालते रहे जब यह संकट के दौर से गुजर रही थी। तरुण तेजपाल प्रकरण के बाद जब बाहर लोग प्रदर्शनकर रहे थे, तब हम ऑफिस में बैठकर मैगजीन का अंक निकाल रहे थे। बिना किसी संसाधन के भी हमने मैगजीन का कंटेंट प्रभावित नहीं होने दिया। जब हमारी टीम में सिर्फ तीन लोग थे, तब भी हम पत्रिका निकालते रहे और उस समय भी तहलका हिंदी का कंटेंट बाकी पत्रिकाओं से कई गुना बेहतर रहा। इस दौरान हम लोगों ने लगातार आपको मेल करके यहां की खराबतर स्थितियों के बारे में बताया, लेकिन आपने कोई ध्यान नहीं दिया। इस दौरान भी हमने मैगजीन को उस मुकाम तक पहुंचाया जहां पर उसके सब्सक्रिप्शन के लिए हर दिन सैकड़ों मेल और पत्र आए, लेकिन तहलका में इसकी कोई व्यवस्था नहीं हुई। आपने हमारी मेहनत का न तो सम्मान किया, न ही अपना संस्थान चलाने की ही गरज से कोई एक्शन लिया।

यहां पर जो भी लोग काम कर रहे हैं, वे पत्रकारिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के चलते काम कर रहे हैं। एक तरफ अंग्रेजी की टीम में लगभग 20-21 लोग हैं, आधा दर्जन कॉन्ट्रीब्यूटर हैं, दूसरी तरफ हिंदी तहलका पांच लोग मिलकर निकाल रहे हैं। हमारे यहां एक-एक रिपोर्टर हर अंक के लिए 20-25 पेज का कंटेंट प्रोड्यूस करते रहे। यहां पर महिला पत्रकारों के साथ अभद्रता और प्रताड़ना की भी शिकायतें की गईं,लेकिन आपने ऐसे संवेदनशील मसलों पर भी संज्ञान लेना उचित नहीं समझा। अगर हमारी मेहनत और संघर्ष का बदला मानसिक, आर्थिक और शारीरिक प्रताड़ना है तो हम इससे इनकार करते हैं। तहलका एक ऐसा स्पेस था, जो भारतीय मीडिया में और कहीं नहीं है। हमारा प्रयास था कि यह बचा रहे और हमने अपनी पूरी क्षमता लगाकर इसे बचाने का प्रयास किया। लगातार आपसे अपील की गई कि आप यहां की गड़बड़ियों पर ध्यान दें, लेकिन नतीजा शून्य रहा।

प्रताड़ना के इस सिलसिले में नया अध्याय यह हैकि मीडिया के ऐसे लोग, जिनका सबसे खराब प्रदर्शन का इतिहास रहा है, जिन्हें तहलका के काम-काज के बारे में कुछ भी नहीं मालूम, जो अपने काम में फेल हो चुके हैं, जिन्हें रिपोर्ट और ओपिनियन में अंतर नहीं मालूम है, जिन्हें ये नहीं पता कि सोनी सोरी कौन हैं, जिन्होंने अपने दशकों की पत्रकारिता में एक ढंग की रिपोर्ट नहीं की, उनकी भर्तियां की जा रही हैं। हमें नहीं लगता कि अब तहलका को हम सबकी मेहनत और ईमानदारी की कोई जरूरत है।

तहलका हिंदी की पूरी टीम अपना इस्तीफा भेज रही है। कृपया इसे स्वीकार करें।

आपका बहुत-बहुत आभार।

बृजेश सिंह, कार्यकारी संपादक

प्रशांत वर्मा

मीनाक्षी तिवारी

अमित सिंह

कृष्णकांत

दीपक गोस्वामी

समाचार मीडिया से साभार 

‘तहलका’ पर एक और संकट, पत्रकारों की पूरी टीम ने उठाया ये बड़ा कदम… Reviewed by on . दिल्ली -खोजी और तथ्यपरक पत्रकारिता के लिए जानी जाने वाली मैगजीन तहलका इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है। आलम ये है कि न तो यहां पिछले कई महीनों से समय पर सैलरी म दिल्ली -खोजी और तथ्यपरक पत्रकारिता के लिए जानी जाने वाली मैगजीन तहलका इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है। आलम ये है कि न तो यहां पिछले कई महीनों से समय पर सैलरी म Rating: 0
scroll to top