तिरुवनंतपुरम, 14 सितम्बर (आईएएनएस)। बचपन से वह देख नहीं सकता था। लेकिन, नेत्रहीनता कभी उसके जोश पर भारी नहीं पड़ी। उसने नारियल और अन्य पेड़ों पर चढ़ने का हुनर सीखा। जीवन के कई वसंत इस हुनर के साथ काट दिए। और, फिर एक दिन अचानक वह पेड़ से गिर पड़ा। हमेशा सक्रिय रहने वाला इनसान आज बिस्तर पर पड़ा है। रीढ़ की हड्डी की चोट ने उसे अपाहिज बना दिया है।
तिरुवनंतपुरम, 14 सितम्बर (आईएएनएस)। बचपन से वह देख नहीं सकता था। लेकिन, नेत्रहीनता कभी उसके जोश पर भारी नहीं पड़ी। उसने नारियल और अन्य पेड़ों पर चढ़ने का हुनर सीखा। जीवन के कई वसंत इस हुनर के साथ काट दिए। और, फिर एक दिन अचानक वह पेड़ से गिर पड़ा। हमेशा सक्रिय रहने वाला इनसान आज बिस्तर पर पड़ा है। रीढ़ की हड्डी की चोट ने उसे अपाहिज बना दिया है।
हौसले और दुख की यह कहानी है 43 साल के नजीम की। तिरुवनंतपुरम के नेदुमंगड में अपनी पत्नी नसीमा और दो बेटियों के साथ रहने वाले नजीम जन्मजात नेत्रहीन हैं। लेकिन, उन्होंने सामान्य लोगों जैसा जीवन जीने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी।
कुछ महीना पहले नजीम को हादसे में लगी चोट ने उनकी और नसीमा की जिंदगी को बदल दिया। नसीमा अब बसों की सफाई कर किसी तरह घर चला रही हैं।
नसीमा ने आईएएनएस को बताया, “हमारा प्रेम विवाह था। नेत्रहीन होने के बावजूद नजीम को नारियल के पेड़ पर चढ़ने का शौक था। वह सिर्फ छूकर समझ जाते थे कि कौन सा नारियल तोड़ना है और कौन सा नहीं।”
नसीमा कहती हैं कि बहुत पैसा नहीं होने के बावजूद उनकी जिंदगी खुशहाल थी। उनकी दोनों बेटियां कक्षा नौ और दस तक पढ़ चुकी थीं।
चार महीने पहले हुए हादसे ने सब कुछ बदल दिया। नसीमा बताती हैं, “वह एक घर में नारियल तोड़कर लौट रहे थे। इसी बीच एक अन्य आदमी ने उन्हें कटहल तोड़ने के लिए बुलाया। कटहल तोड़कर वह पेड़ से नीचे आ रहे थे कि एक अन्य कटहल टूटकर उन पर गिर पड़ा। इसकी चपेट में आकर वह नीचे गिर गए। “
नसीमा बताती हैं, “23 दिन अस्पताल में रहे। रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन हुआ। चार महीने हो गए। वह न बैठ सकते हैं न चल सकते हैं। जिंदगी उनके साथ इतनी संगदिल कैसे हो गई?”
शुक्रवार को एक स्वयंसेवी संस्था ने नजीम को व्हीलचेयर दी।
नसीमा ने कहा कि उनकी मामूली कमाई से काम नहीं चल रहा है। अब वह लोगों के रहमोकरम पर हो गई हैं। उन्होंने कहा कि वह मदद के लिए मुख्यमंत्री ओमन चांडी के पास जाएंगी।