बांदा जिले के पैलानी तहसील एचं सदर तहसील के सैकड़ों नागरिक हर साल रोजी-रोटी कमाने के लिए गुजरात के तटीय क्षेत्रों में जाते हैं। वहां वे मछली ठेकेदारों के झांसे और प्रलोभन में आकर भारतीय समुद्र क्षेत्र में मछली पकड़ने के प्रयास में पाकिस्तानी जल क्षेत्र में चले जाते हैं और पकड़ लिए जाते हैं।
पाकिस्तानी जेल में कोई उनका हालचाल लेने तक नहीं जाता। समुद्र में मछलियों का शिकार कराने वाला ठेकेदार भी कभी उनकी सुध-बुध नहीं लेता।
अभी हाल में पाकिस्तान के करांची प्रशासन द्वारा भेजा गया वह पत्र इस बात का सबूत है कि वर्षो से अपने परिवार से अलग रहकर पाकिस्तान की जेल में जिंदगी गुजार रहे कामता (पुत्र चुनुवा, निवासी विजयबहादुर का पुरवा मजरा), शिव कुमार पुत्र राम खिलावन, मोहम्मद सिद्दीक (पुत्र लल्लू खां), रफीक लाल (पुत्र लाल मोहम्मद, निवासी गण जसईपुर थाना तिंदवारी) तथा रामराज काछी (पुत्र रामखिलावन), आसिफ खां उर्फ मिर्चइयन (पुत्र मुन्नू खां, निवासी ग्राम धौसण थाना तिंदवारी) शमिल हैं। इनके बारे में पाकिस्तान प्रशासन ने इनकी गतिविधियों की जानकारी इंटेलीजेंस विभाग से मांगी है।
आसिफ खां के पिता मुन्नू खां ने बताया, “बुंदेलखंड में संसाधनों की कमी और रोजी-रोटी का कोई पुख्ता इंतजाम न होने की वजह से तिंदवारी इलाके के तकरीबन दो सौ से ज्यादा लोग बीते एक साल से लापता हैं। मेरा बेटा वहां से छूटकर कब आएगा, अल्ला ही जाने।”
स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो यहां के कुछ लोग बढ़ते पारिवारिक खर्च को पूरा करने के लिए बड़े-बड़े मछली ठेकेदारों के बुलावे पर गुजरात, गोवा, दमन और दीव का रुख करते हैं और समुद्र में मछलियों का शिकार करते समय अनजाने में सीमा उल्लंघन का शिकार होकर पाकिस्तानी जेलों में पहुंच जाते हैं और वहां पाकिस्तानी हुक्मरानों का जुर्म सहते रहते हैं।