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बिहार में आया चक्रवाती तूफान था ‘काल वैशाखी’

पटना, 23 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार के पूवरेत्तर हिस्से के 12 जिलों में मंगलवार की रात आई आंधी-तूफान से गुरुवार तक 44 लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। इस चक्रवाती तूफान को जानकार ‘काल वैशाखी’ बता रहे हैं।

पटना, 23 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार के पूवरेत्तर हिस्से के 12 जिलों में मंगलवार की रात आई आंधी-तूफान से गुरुवार तक 44 लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। इस चक्रवाती तूफान को जानकार ‘काल वैशाखी’ बता रहे हैं।

पटना मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक ए़ क़े सेन कहते हैं कि काल वैशाखी में हवा नीचे से ऊपर जाती है। बारिश के साथ बिजली कड़कती है। उन्होंने बताया कि वैशाखी के आगे के रूप में ‘टारनेडो’ कहा जाता है।

इधर, नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति और भूगोल के जानकार डॉ़ रासबिहारी सिंह आईएएनएस से कहते हैं कि बिहार में मंगलवार की रात आया तूफान काल वैशाखी है। इसे नार्वेस्टर भी कहा जाता है।

उन्होंने बताया, “यह काफी कम समय में एक्टिवेट होता है और इसका प्रभाव भी सामान्य तूफान से काफी कम समय में होता है। यही कारण है कि मौसम विभाग भी इसे पकड़ पाने में सक्षम नहीं हो पाता।”

डॉ़ सिंह कहते हैं कि बंगाल की खाड़ी में नमी वाली हवाओं के प्रवाह हो रहा था और गर्मी लगातार बढ़ने के कारण मैदानी भागों के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बनने लगा था। जैसे ही नम हवाएं गर्म हवाओं के संपर्क में आई, उनकी गति तेज हो गई। इसे वायु दाब की प्रबलता भी कहा जाता है। आमतौर पर ऐसे तूफान 100 से 150 किलोमीटर की परिधि में ही कहर बरपाता है।

वैसे बिहार के पूवरेत्तर क्षेत्र में यह कोई नया मामला नहीं है कि आंधी-तूफान ने यहां कहर बरपाया हो। जानकार कहते हैं कि यह इलाका कमोबेश हर साल आंधी-तूफान से प्रभावित होता है।

भागलपुर के तिलका मांझी विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एस़ एऩ पांडेय कहते हैं कि हिमालय क्षेत्र के मैदानी भाग में इस मौसम में निम्न दाब अधिक होता है। इस कारण यह क्षेत्र डिप्रेशन का क्षेत्र बन जाता है। इससे इस तरफ समुद्र से हवा काफी तेजी से आती है। इससे यह इलाका प्रत्येक वर्ष प्रभावित होता है।

आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी डॉ़ गगन का मानना है कि अप्रैल-मई में बिहार और पश्चिम बंगाल में काल वैशाखी अपने नाम के अनुरूप कहर बनकर आती है। इसका क्षेत्र सीमित होता है, परंतु ओले और बारिश काफी तबाही मचाती है।

काल वैशाखी के विषय में जानकार बताते हैं, “अप्रैल-मई महीने में समुद्री हवा से स्थलीय गर्म हवा के टकराने से तेज आंधी बन जाती है। काल वैशाखी में हवा की गति 60-70 किलोमीटर प्रतिघंटे के आसपास होती है, लेकिन टारनेडो में यह गति 140-150 किलोमीटर तक हो जाती है।”

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