पटना, 25 मई (आईएएनएस)। बिहार सरकार के कृषि रोडमैप के जरिए फसलों के उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने का दावा तो करती है, लेकिन किसानों को उपज की वाजिब कीमत दिलाना अभी भी बड़ी चुनौती बनी हुई है। बिहार में फसलों के भंडारण और विपणन के मोर्चे पर सरकार अब तक विफल सबित होती रही है।
पटना, 25 मई (आईएएनएस)। बिहार सरकार के कृषि रोडमैप के जरिए फसलों के उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने का दावा तो करती है, लेकिन किसानों को उपज की वाजिब कीमत दिलाना अभी भी बड़ी चुनौती बनी हुई है। बिहार में फसलों के भंडारण और विपणन के मोर्चे पर सरकार अब तक विफल सबित होती रही है।
बिहार के सहरसा जिले के सौर बाजार के किसान अरविंद अकेला कहते हैं कि यहां धान के बाद गेहूं की खेती सर्वाधिक की जाती है। इस खेती के भरोसे किसान अपनी जरूरी कार्य को वर्ष भर संजोए रखते हैं। लेकिन खरीद प्रारंभ नहीं हो पाने के कारण किसान अगली खेती करने, महाजनों का कर्ज चुकाने और अपनी अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए औने-पौने दाम में गेहूं बेचना शुरू कर चुके हैं।
यह दर्द केवल एक किसान की नहीं है। जिले के महिषी के रहने वाले श्याम सुंदर भी कहते हैं कि शादी-ब्याह के कारण किसान अब अपनी फसल बाजारों में बेच रहे हैं, क्योंकि इस लग्न के शादी-ब्याह के लिए पैसे की जरूरत सभी को होती है। ऐसे में सरकार ने अब तक गेहूं खरीद की व्यवस्था नहीं की है।
बिहार में गेहूं खरीद की समय सीमा एक माह से अधिक बीत चुकी है, लेकिन अब तक सरकार गेहूं की खरीद शुरू नहीं कर सकी है। वैसे, सहकारिता विभाग ने इस वर्ष दो लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है और जून महीने में इस लक्ष्य को प्राप्त करने का विभाग का दावा भी है।
विभाग के एक अधिकारी कहते हैं कि व्यापार मंडल के जरिए गेहूं की खरीद होनी है। किसी कारणवश अगर क्षेत्र में व्यापार मंडल शिथिल होंगे वहां यह जिम्मेवारी पैक्सों को दी जाएगी।
राज्य के सहकारिता मंत्री राणा रंधीर सिंह ने आईएएनएस को बताया कि सहकारिता विभाग धान की तरह गेहूं की खरीद करेगी। सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1735 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। उन्होंने कहा कि राज्य के 26 जिलों में गेहूं की खरीद एक-दो दिनों में शुरू होनी है। इन जिलों में टॉस्क फोर्स की बैठक हो चुकी है।
उन्होंने बताया, “इन जिलों में व्यापार मंडल के जरिए गेहूं की खरीद होगी। जिन प्रखंडों में किसी कारण व्यापार मंडल गेहूं की खरीद नहीं कर पाएगा, वहां किसी पैक्स का चयन कर उसके माध्यम से इसकी खरीद होगी।”
मंत्री सिंह स्पष्ट कहते हैं कि गोदाम के काराण विभाग को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, मगर सरकार का लक्ष्य अधिक से अधिक गेहूं खरीदने का है। उनका कहना है कि सीमित साधनों में किसानों को उचित सुविधा दी जाए यही सरकार का लक्ष्य है।
सरकारी क्रय केंद्र पर गेहूं की खरीद नहीं होने से किसानों को लाभकारी मूल्य नहीं मिल पा रहा है। व्यापारी और बिचौलिये 1400 से 1550 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर ही इसे खरीद रहे हैं।
एक किसान व्यथित स्वर में कहता हैं, “किसानों लागत भी नहीं निकल पा रहा है। जब सरकारी स्तर पर खरीद शुरू होगा तो खुले बाजार में भी कीमत चढ़ेगी। ऐसे में किसानों को लाभ होगा।”
इधर, पत्रकार से किसान बने और किसानों के लिए काम कर रहे पूर्णिया के चनका के रहने वाले गिरींद्रनाथ झा कहते हैं, “आमतौर पर राज्य सरकार का फोकस सिर्फ धान खरीद पर होता है। ऐसे में गेहूं की खरीदारी में सरकार दिलचस्पी नहीं लेता। इस साल भी समर्थन मूल्य पर खरीदारी के ऐलान के बावजूद किसान अपना गेहूं लेकर सरकारी एजेंसियों तक नहीं पहुंचे, क्योंकि खरीद शुरू ही नहीं हो सकी है।”
उन्होंने बताया कि कारोबारी आज किसानों से 1400-1500 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर गेहूं खरीद रहे हैं। वे कहते हैं, “आज किसानों को अच्छी क्वालिटी का गेहूं 1500 रुपये प्रति क्विंटल, जबकि बारिश के कारण खराब क्वालिटी का गेहूं 1400 रुपये प्रति क्विंटल में बेचना पड़ रहा है।”