बीजिंग, 22 जनवरी (आईएएनएस)। भारत ने मंगलवार को चीन के समक्ष बढ़ते व्यापार घाटे और चीन द्वारा प्रस्तावित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) को लेकर अपनी चिंताओं को रखा।
बीजिंग, 22 जनवरी (आईएएनएस)। भारत ने मंगलवार को चीन के समक्ष बढ़ते व्यापार घाटे और चीन द्वारा प्रस्तावित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) को लेकर अपनी चिंताओं को रखा।
चीन के दौरे पर पहुंचे भारत के वाणिज्य सचिव अनूप वधावान ने चीन के वाणिज्य उपमंत्री वांग शोवेन से मिलकर द्विपक्षीय व्यापार के मुद्दों पर चर्चा की।
भारत ने चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे के बारे में चीन से बार-बार शिकायत की है और मांग की है भारतीय कंपनियों को चीनी बाजारों तक अधिक पहुंच प्रदान की जाए।
मंगलवार को यहां संपन्न हुई अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान वधावान ने फिर से इस मुद्दे को उठाया और भारतीय उत्पादों के निर्यात को समर्थन देने और बढ़ावा देने के लिए चीनी पक्ष पर और कार्रवाई के लिए दबाव डाला।
उन्होंने भारतीय आईटी कंपनियों, फार्मास्युटिकल्स और कृषि उत्पादों को अधिक बाजार पहुंच मुहैया कराने को कहा, जिनमें प्रमुख वस्तुएं जैसे चीनी, चावल, दूध और दुग्ध उत्पाद शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि इन वस्तुओं के एक बड़े उत्पादक के रूप में भारत, चीन के लिए सबसे विश्वसनीय स्रोत बन सकता है।
भारत ने चीन के समक्ष आरसीईपी पर अपनी चिंताओं को उठाया, जोकि 10 आसियान देशों और उनके छह एफटीए भागीदारों ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, कोरिया और न्यूजीलैंड के बीच व्यापार समझौता है।
आरसीईपी में भारत के मुख्य वार्ताकार, वाणिज्य विभाग के अतिरिक्त सचिव सुधांशु पांडे चीन के वाणिज्य मंत्रालय और आर्थिक मामलों के उपमहानिदेशक यांग झेंगवेई के बीच व्यापक विचार-विमर्श किया गया।
आरसीईपी के सभी तीन स्तंभों – माल, सेवाओं और निवेश पर बातचीत की गई। आरसीईपी वार्ता के जल्द पूरा होने को लेकर भारत और चीन के बीच की यह द्विपक्षीय वार्ता महत्वपूर्ण है।
भारत को चिंता है कि इस समझौते को मंजूरी मिलते ही उसका बाजार चीनी सामानों से भर सकता है। चीन साल 2019 के अंत तक इस समझौते को पूरा करना चाहता है, इसलिए उसने भारत की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की है।