Wednesday , 24 April 2024

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मधुबनी पेंटिंग को आधुनिकता से जोड़ रहीं चित्रा (फोटो सहित)

पटना, 12 नवंबर (आईएएनएस)। आमतौर पर मधुबनी पेंटिंग के विषय परंपरागत ही रहे हैं। इस शैली की पेंटिंग का जिक्र आते ही लोगों के जेहन में भगवान राम, सीता, मछली, कमल, कोहबर जैसे चित्र सामने आते हैं, लेकिन अब इस पेंटिंग के विषय में भी परिवर्तन दिख रहा है। पटना की रहने वाली चित्रा सिंह मधुबनी पेंटिंग की ऐसी ही कलाकार हैं, जो इस पेंटिंग में रोज नए-नए प्रयोग कर रही हैं।

पटना, 12 नवंबर (आईएएनएस)। आमतौर पर मधुबनी पेंटिंग के विषय परंपरागत ही रहे हैं। इस शैली की पेंटिंग का जिक्र आते ही लोगों के जेहन में भगवान राम, सीता, मछली, कमल, कोहबर जैसे चित्र सामने आते हैं, लेकिन अब इस पेंटिंग के विषय में भी परिवर्तन दिख रहा है। पटना की रहने वाली चित्रा सिंह मधुबनी पेंटिंग की ऐसी ही कलाकार हैं, जो इस पेंटिंग में रोज नए-नए प्रयोग कर रही हैं।

मधुबनी पेंटिंग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लोगों को बाजार उपलब्ध कराए गए हैं। वेबसाइट ‘वीएल ई बाजार’ में मधुबनी पेंटिंग का प्रतिनिधित्व कर रहीं चित्रा कहती हैं, “मैं मधुबनी पेंटिंग बनाने के लिए किसी भी चीज को अपने नजरिए से देखती हूं और उसके हिसाब से चित्र बनाती हूं। आज किसी क्षेत्र में भी परंपरा के साथ आधुनिकता का समावेश जरूरी है। ऐसे में मधुबनी पेंटिंग के विषयों में बदलाव मुझे बदलते वक्त की जरूरत लगती है। अपनी कला के माध्यम से समाज के ज्वलंत मुद्दों को उठाना मुझे पसंद है।”

‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ विषय पर तथा ‘पहाड़ पुरुष’ के नाम से चर्चित दशरथ मांझी की पेंटिंग से चर्चा में आईं चित्रा इन दिनों भोजपुरी के ‘शेक्सपियर’ कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर सीरीज पर पेंटिंग बना रही हैं। उन्होंने कहा कि इस सीरीज में कम से कम 15 से 20 पेंटिंग बनेंगी।

वह अपनी पेंटिंग के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देती रही हैं। इनकी मधुबनी पेंटिंग में सिद्धार्थ से गौतम तक तथा महिषासुर मर्दनी विषय पर बनी पेंटिंग के जरिए भी चरित्र चित्रण किया गया है।

जून, 2016 में नगालैंड भोजपुरी समाज द्वारा आयोजित वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में चित्रा की पेंटिंग से न केवल इस समारोह का स्टेज (मंच) सजाया गया था, बल्कि वहां के तत्कालीन राज्यपाल पी.बी. अचार्य द्वारा इन्हें सम्मानित भी किया था।

चित्रा ने आईएएनएस को बताया, “शुरू से ही मेरा झुकाव पेंटिंग, स्केच की तरफ रहा है। मैं स्कूली पढ़ाई के समय से ही कॉपी पर स्केच करती रही हूं, जिस कारण शिक्षकों से पिटाई भी लगी।”

उन्होंने बताया, “अभिभावकों की जिद पर मैंने डॉक्टर बनने के लिए उस समय एक कोचिंग तो ज्वाइन कर ली थी, मगर मेरा मन कलाकार बनने का था।”

चित्रा की सबसे बड़ी विशेषता है कि उन्होंने कहीं भी मधुबनी पेंटिंग बनाने के लिए प्रशिक्षण नहीं लिया है। अपने घर के नजदीक ही मधुबनी पेंटिंग की जानी-मानी कलाकर रेखा दास को देखकर उन्होंने यह कला सीखी।

कैनवास और हैंडमेड पेपर पर मधुबनी पेंटिंग बनाने में दक्ष चित्रा की पेंटिंग को वर्ष 2015 में आयोजित पटना फिल्मोत्सव में भी लोगों ने काफी पसंद किया था। इस उत्सव में आने वाले अतिथियों को चित्रा की पेंटिंग देकर ही सम्मानित किया गया था।

पटना में ‘वीएल ई बाजार’ वेबसाइट की लांचिंग कार्यक्रम में चित्रा ने अपनी पेंटिंग ‘सशक्त महिला’ केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को भेंट की थी।

चित्रा एक गृहिणी हैं, पारिवारिक जिम्मेवारियों से जैसे ही फुर्सत मिलती है, वह अपनी कला साधना में लग जाती हैं। वह कहती हैं, “मधुबनी पेंटिंग में भी दूसरे क्षेत्रों की तरह नई सोच और आधुनिकता का स्वागत किया जाना चाहिए।”

भविष्य की अपनी योजना बताते हुए उन्होंने कहा कि बिहार की इस लोककला को आगे बढ़ाना ही उनका उद्देश्य है। वह आगे यह कला अन्य लोगांे को भी सिखाएंगी।

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