भोपाल– मप्र के सभी तकनीकी विभागों के कार्यों की गुणवत्ता और पारदर्शिता की जांच की जिम्मेदारी मुख्य तकनीकी परीक्षक के पास है.बुंदेलखंड को पैकेज के तहत 3700 करोड़ रुपये दिए गए थे.एक शासकीय जांच में यह बात सामने आई की उसमें हुए भ्रष्टाचार में प्रमुख दोषी वर्तमान मुख्य तकनीकी परीक्षक एन के कश्यप हैं.
इस रिपोर्ट को दबाने की पुरजोर कोशिश की गयी लेकिन इसके सामने आते ही प्रशासन के गल्यारों में हडकंप की स्थिति बन गयी है.बताया जाता है की ये साहब सेटिंग में माहिर हैं और इस मामले को दबाने की भी पूरी कोशिश इन्होने शुरू कर दी है.इनकी खासियत है की इन्होने अफ़ी पुरानी जांचों की फाइलें बंद करवा दीं हैं.ये अफसर महोदय जोड़-तोड़ की अफसरी में सिद्धहस्त बताये जाते हैं.
इनके मामले में वल्लभ भवन को भी अँधेरे में रखने में ये सफल हो गए थे लेकिन खबरनवीसों ने सब पोल खोल दी.मुख्यमंत्री की जानकारी में आने के बाद अब खबर है की कार्यवाही सुनिश्चित है.
ये साहब मार्च में सेवानिवृत्त होने वाले हैं और इनकी पुरजोर कोशिश अपनी जांच बचाने और सेवानिवृत्ति की धनराशी बचाने की है.