नई दिल्ली, 18 मार्च (आईएएनएस)। उद्योग संगठन एसोचैम का कहना है कि अकेले अमेरिका के साथ ही 150 अरब डालर का व्यापार घाटे के बावजूद भारत को उस वैश्विक व्यापार युद्ध में उलझने की जरूरत नहीं है जो हाल के दिनों में विकसित देशों की संरक्षणवादी नीतियों के कारण सामने आ रहा है। इसकी वजह यह है कि देश का आयात अधिकांश अनिवार्य प्रकृति का है।
एसोसिएटेड चेंबर्स आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा स्टील पर 25 फीसदी और अल्युमीनियम पर 10 फीसदी आयात शुल्क लगाने वाली अधिसूचना पर हस्ताक्षर के संदर्भ में यह बात कही है।
एसोचैम ने कहा कि उन्होंने (ट्रंप) कुछ और मदों पर भी आयात शुल्क लगाने की बात कही है, जिसका यूरोप, जापान और चीन विरोध कर सकते हैं। जहां तक भारत का सवाल है तो हम विरोध करना चाहें भी तो नहीं कर सकते क्योंकि हम जिन वस्तुओं का आयात करते हैं वे हमारी अनिवार्य जरूरत हैं। ऐसे में जरूरत है कि किसी एक पक्ष से पूरी तरह जुड़ने के बजाए विशिष्ट व्यापारिक भागीदारों से द्विपक्षीय संपर्क बनाने का श्रेष्ठ रास्ता चुना जाए। विश्व व्यापार संगठन से भी संपर्क साधा जा सकता है लेकिन यह रास्ता लंबा होता है, इसलिए द्विपक्षीय संपर्क बेहतर होगा।”
बड़े व्यापारिक घाटे के संदर्भ में उद्योग संगठन ने कहा कि अमेरिका से भारत का आयात 450 अरब डॉलर है। जबकि निर्यात सिर्फ 300 अरब डॉलर है। पूरे आयात बिल का करीब एक चैथाई कच्चा तेल व अन्य चीजों का है।
एसौचैम ने कहा कि इसके अलावा प्लास्टिक और उर्वरक जैसी आवश्यक वस्तुओं का भी भारत आयात करता है और इन वस्तुओं का तत्काल जरूरत के मुताबिक घरेलू उत्पादन करना मुश्किल है।
उद्योग संगठन ने कहा, “व्यापारिक जंग और आयात शुल्क के कारण भले ही हमारा निर्यात प्रभावित हो लेकिन हम बड़े आयातक होने का बहुत ज्यादा धौंस नहीं दिखा सकते। “
एसोचैम ने बाताया कि इस्पात उत्पादन की क्षमता होने के बावजूद भारत ने इस साल फरवरी में पिछले साल के मुकाबले 21 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 1.15 अरब डॉलर इस्पात का आयात किया जबकि गैर-लौह धातुओं का आयात फरवरी में पिछले साल के मुकाबले 33 फीसदी बढ़कर एक अरब डॉलर हो गया। उद्योग संगठन ने इस्पात के आयात में इजाफा होने पर चिंता जाहिर की।