बीजिंग, 19 जनवरी (आईएएनएस)। चीन के एक समाचार पत्र ने कहा है कि भारत को शीत युद्ध की मानसिकता से बाहर निकलना चाहिए, ताकि चीन के साथ संबंध मजबूत करने का वादा पूरा किया जा सके।
समाचार पत्र ने भारत के विकास में लोकतंत्र को बाधक बताया है।
‘ग्लोबल टाइम्स’ में सोमवार को प्रकाशित एक संपादकीय लेख में कहा गया है, “भारत एक गौरवशाली, प्रतिस्पर्धी और पीछे न रहने की मानसिकता वाला देश है। भारत अंतरिक्ष से लेकर सैन्य बल और अर्थव्यवस्था तक हर क्षेत्र में चीन को चुनौती देने को बेकरार है। लेकिन भारत को चीन से आगे निकलने से पहले कठिन परीक्षा से गुजरना होगा।”
लेख में कहा गया है कि चीन अब दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को तेजी से ऊपर चढ़ने का मौका दे रहा है।
लेख के अनुसार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा शुरू किए गए ‘सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट’ और ’21वीं सदी का सामुद्रिक सिल्क परिवहन मार्ग’ पूर्वी एशिया और यूरोप के बीच कारोबार और अवसंरचनात्मक नेटवर्क स्थापित करने में बेहद अहम साबित होगा और पूरी तरह लाभकारी द्विपक्षीय समझौतों का अवसर मुहैया कराने वाला होगा।
लेख में आगे कहा गया है, “लेकिन भारत में अभी भी लोग चीन के खिलाफ शीत युद्ध की मानसिकता में जकड़े हुए हैं। सीमा विवाद के अतिरिक्त वे चीन के साथ किसी तरह के संबंध पर विचार नहीं करते, जो भारत को लाभ पहुंचाने वाला हो। इसके उलट वे इस बात को लेकर बेहद चौकन्ने हैं कि अगर दोनों देशों की सीमा पर रेलवे सुविधा शुरू हो गई तो चीन की सेना भारत में घुस आएगी।”
लेख के अनुसार, “इतना ही नहीं, वे हमेशा इसे लेकर सशंकित रहते हैं कि चीन अलगाववादियों का समर्थन कर पूर्वोत्तर भारत के मामलों में हस्तक्षेप करेगा। सच कहा जाए तो भारत को अतिरिक्त सोच-विचार बंद कर देना चाहिए। चीन का दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई इरादा नहीं है।”
लेख में कहा गया है कि यदि भारत शीत युद्ध की मानसिकता से बाहर निकल आए तो भारत और चीन के बीच बेहतर समन्वय हो सकता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।