उज्जैन-बड़ा उदासीन अखाड़े के महंत बिंदु महाराज जी से सिंहस्थ मेले में मुलाक़ात हो गयी.मिलना तो था ही और मैंने पहुँचते ही पत्रकारों की उत्कंठा का सवाल दाग दिया,मेरी संभावना अनुसार सवाल समय काल को लेकर इतना तीखा था की बिंदु महाराज वह सब कह गए ज सत्य है.प्रस्तुति अनिल सिंह उज्जैन से …..
मैंने पूछा की महाराज आप का कार्यक्रम आगामी क्या है,मतलब था जैसे सब कर रहे हैं वैसे आप कब श्मशानी साधना हम लोगों को कैमरे में कैद करने का अवसर प्रदान करेंगे ?
इतना सुनते ही बिंदु महाराज तैश में आ गए और बोले साधना आंतरिक होती है ,इडा और पिंगला आतंरिक क्रिया करती हैं जैसे मैथुन गुप्त होता है साधना भी गुप्त होती है.यह सबके सामने या कैमरे पर शूटिंग के लिए नहीं है अपने कल्याण,आतंरिक शक्तिओं के जागरण और उन्हें प्राप्त कर जन-कल्याण हेतु नियत हैं.
मिर्ची झोंको या मसाला कुछ नहीं होने वाला,महाकाल के मेले में दृष्टा बन आया हूँ
बिंदु महाराज ने कहा की जिसे जैसा करना है करे कोई रोक-टोक नहीं है ,मिर्ची-मसाला या जो भी आहुति में झोंकना है झोंक दें,हाथ से झोंकें ,पैर से झोंके लेकिन इन सबसे क्या फायदा.जो भटक रहे वही सब करते हैं .उन्होंने आगे कहा की वे द्रष्टा बन महाकाल के इस मेले में आये हैं जो उनकी मर्जी होगी वही होगा.
श्मशान जागने से उत्त्पन्न ऊर्जा को सँभालने वाला कौन है ?
बिंदु महाराज ने आगे कहा की कोई नहीं है जो श्मशान जगा सके .यदि श्मशान जाग गया तो उससे उत्पन्न धनात्मक एवं ऋणात्मक ऊर्जा का विस्फोट उसका संलयन कौन सम्भालेगा.उज्जैन को कौन रोक सकेगा बर्बाद होने से उन ऊर्जाओं के ताप से.इन महाश्मशानो को कीलित कर दिया गया है आज ऐसा कोई नहीं जो महाश्मशान को जाग्रत कर सके.
गुरु-चाण्डाल योग पर बोलते हुए उन्होंने कहा गुरु कभी चाण्डाल नहीं होता इस मेले में चाण्डाल नहीं पांडाल आता है.जिन तांत्रिकों को अपनी टीआरपी बढानी होती है वे यह सब अनर्गल करते हैं.
हम तो मेला देखने महाकाल की नगरी में आये हैं,गुरुओं के दर्शनों को आये हैं इनकी साधनों को आगे बढाने और जन-जन तक पहुँचाने आये हैं.