Saturday , 20 April 2024

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सिर्फ शिवराज को मसीहा बना प्रस्तुत करना भाजपा को किस दिशा में ले जाएगा ?चुनावी जोड़-तोड़ पर सम्पादकीय

bjp congमध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा सट्टेबाज की तरह पेश आई है,भाजपा ने सट्टा लगाया है शिवराज के रूप में,सट्टा भारत में चाहे IPL के रूप में हो या चुनाव के रूप में है बड़ा मालदार खेल,पहला सट्टा भाजपा ने लगाया था 10 साल पहले जब उमा भारती को दांव पर लगाया था और वह दांव जीत कर वह सत्तानशीन हुई लेकिन मोहरे जमाने वालों ने उमा रुपी जिताऊ मोहरे को निकाल कर अलग फेंक दिया।
अब 10 साल बाद भी भाजपा उसी स्थान पर खड़ी है यानि सट्टा बाजार के भरोसे और मोहरे के रूप में प्रस्तुत किया है वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को।
चुनाव रणनीति के कर्ता- धर्ता वही हैं-–जिन्हें उमा भारती को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी उन्हें इस दफे फिर सौंपा गया है यह मलखम्ब,फिर नया क्या?
प्रभात झा को अनमने ढंग से चिपका रखा है— प्रभात झा को बढावा देना शिवराज के लिए गले की हड्डी बन गया,वे कुछ न बोलें ऊँट -पटांग इसीलिए उन्हें भी लोलीपोप थमा दिया है,वे भी शिवराज के आगे-आगे जाने का कह कर साथ में ही चिपके हुए हैं,क्योंकि मीडिया तो वर्तमान मुख्यमंत्री को ही तरजीह देगा।
उमा को मैनेज किये हुए हैं राजनाथ — उमा देवी को राजनाथ सिंह लोलीपोप दिए हुए हैं ,वे राजनाथ के आसरे ही सपने देख रही हैं,राजनीति भी क्या गजब का IPL है।
शिवराज की खूबी क्या है— शिवराज भी गजब हैं,जैसे MP गजब है,ये खूब धैर्य से अपने मैनेजरों के बताये रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं,हाँ एक ख़ास बात बता दें की ये मैनेजर भी आश्वस्त नहीं हैं जितने उमा देवी के समय थे।शिवराज को बयान देने से बचने का गुर सिखाया गया है,सबको अपना बना लेने का ढंग पिलाया गया है,समय ही ऐसा है भैया।
विकास,सुशासन एक ओर शिवराज दूसरी ओर— शिवराज को ऐसा प्रस्तुत किया जा रहा है जैसे वे ही भाजपा और मध्यप्रदेश के खेवैया हैं,वर्ना नहीं तो दोनों डूब जायेंगी,सुशासन और विकास इसमें से सुशासन को तो चुनावी नारे में त्याग दिया गया है,अब बचा विकास वह भी किसका मालिक ही जानें,अपना घर बनाना,संवारना अपने आप को संवारना यदि मुद्दा है तो यदि इस कार्य को घर का मुखिया नहीं करेगा तो क्या पडोसी करेगा।
इस रेस के मैदान में घोडा यदि लंगड़ा हो गया तब क्या होगा?— अभी की स्थिति में भाजपा की चुनावी आधारशिला सिर्फ एक ही स्तम्भ पर टिक कर रह गयी है शिवराज सिंह चौहान,यह भाजपा की सोच है लेकिन राजनीति क्या कहती है जिस तरह पहले युद्ध में यदि राजा बंदी बना लिया गया तब पूरी सेना समर्पण कर देती थी,अब भाजपा के राजनैतिक प्रतिद्वंदी कांग्रेस को सिर्फ एक ही स्थान पर अपनी ताकत लगानी है वह है शिवराज सिंह चौहान,जी हाँ यदि चुनाव के पहले इस स्तम्भ को कांग्रेस ने कमजोर किया या गिरा दिया तब क्या भाजपा तो गयी,यह सबसे बड़ी राजनैतिक गलती भाजपा इस समय कर रही है,पिछले अनुभवों से कांग्रेस और सतर्क हो अपनी रणनीति बना रही है,भाजपा ने अपना संगठन,अपने कार्यकर्ता,अपने वोटरों सभी को यह सन्देश अनजाने में दिया है कि और कोई नहीं अब बेकार हैं ,सारे निकम्मे हैं सपूत तो मात्र एक हैं शिवराज सिंह चौहान लेकिन शायद भाजपा के राजनीति के पंडित कुछ चूक कर रहे हैं ,वर्तमान परिस्थितियों में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है अतः हमला करने के सिवाय उसइस के पास कोई चारा नहीं है परन्तु यदि इस हमले में शिवराज रुपी स्तम्भ के किसी कमजोर हिस्से पर आघात हो गया तब क्या? यही भविष्य की गर्त में छुपा हुआ है और आगे की राजनीति भी तय करेगा।
(सम्पादकीय-अनिल सिंह)

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