Wednesday , 24 April 2024

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सोना में निवेश का सही समय

सोना में निवेश की रुचि अभी किसी में नहीं देखी जा रही है। अगस्त महीने की डिलीवरी के लिए सोने के वायदा भाव ने शुक्रवार को दिनभर के कारोबार में जहां छह साल का निचला स्तर छू लिया, वहीं हाजिर भाव 1,134 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ।

सोना में निवेश की रुचि अभी किसी में नहीं देखी जा रही है। अगस्त महीने की डिलीवरी के लिए सोने के वायदा भाव ने शुक्रवार को दिनभर के कारोबार में जहां छह साल का निचला स्तर छू लिया, वहीं हाजिर भाव 1,134 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ।

काम की बात यह है कि किसी भी चीज को खरीदने का सबसे सही समय तब होता है, जब उसे कोई हाथ नहीं लगाना चाहता है, खासकर तब जब आपको लंबी अवधि के फंडामेंटल में भरोसा हो।

सोने का भाव आखिर नीचे क्यों चल गया है, यह अब सबको पता चल गया है। इसक पहला कारण है अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा दर बढ़ाने की संभावना, जिससे वाणिज्यिक ब्याज दर बढ़ जाएगी। दूसरा कारण है डॉलर की मजबूती। तीसरा कारण है ग्रीस, ईरान और चीन संकट टलने से प्रणालीगत जोखिम का घटना, और चौथा कारण है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड के जरिए बाजार ने 1,000 डॉलर प्रति औंस भाव के लक्ष्य के साथ शॉर्ट पोजिशन लिया हुआ है। इसके साथ ही इस तरह की खबरें आ रही हैं कि चीन उस रफ्तार से अपने भंडार में सोना जमा नहीं कर रहा है, जैसी उम्मीद की जाती है।

2013 में फेडरल रिजर्व के तत्कालीन अध्यक्ष बेन बर्नाके द्वारा दर बढ़ाने का संकेत देने के बाद से सोने का भाव टूटना शुरू हुआ है। दो साल बाद आज भी फेड की दर शून्य के करीब है, जबकि इस दौरान यूरोप और जापान ने महंगाई बढ़ाने के लिए क्वोंटिटेटिव ईजिंग कार्यक्रम शुरू कर दिया है। इससे बाजार में काफी नकदी आ गई है, लेकिन इसका प्रवाह सोने की तरफ नहीं हुआ है।

1998 से 2011 के बीच अन्य संपत्तियों के मुकाबले सोने में अपेक्षाकृत अधिक तेजी आई है। जितनी तेजी से कीमत बढ़ती है, उतनी ही उसमें अचानक गिरावट भी आती है। लेकिन जब यह गिरावट आती है तब यह नहीं मानलेना चाहिए कि गिरावट का सिलसिला जारी रहेगा, बल्कि यह समझना चाहिए कि थोड़ी गिरावट के बाद यह फिर छलांग लगाएगा। यह एक पहेली है कि 2011 के यूरोपीय कर्ज संकट के समय सोने की कीमत आसमान छूने लगी थी, जबकि ग्रीस और उसके कर्जदाताओं की वार्ता विफल होने के बाद सोने में वैसी तेजी नहीं आई।

विभिन्न गणनाओं के मुताबिक, अभी हमारा अनुमान यही है कि भले ही सोने की कीमत में 100 डॉलर की और गिरावट आ जाए, लेकिन यह समय सोने में निवेश करने का है।

सोने की कीमत ब्याज दर बढ़ने के बाद भी बढ़ी है। यह अक्टूबर 2003 से अक्टूबर 2006 के बीच भी दिखा है, जब अमेरिका में ब्याज दर नकारात्मक एक फीसदी से बढ़कर तीन फीसदी हो गई, जबकि उसी दौरान सोने का भाव 60 फीसदी बढ़ा।

विश्व स्वर्ण परिषद के एक विश्लेषण के मुताबिक, जनवरी 1975 से मई 2013 के बीच सोने ने प्रति माह 0.6 फीसदी का रिटर्न दिया है, जिसका मतलब है सालाना करीब 7.5 फीसदी रिटर्न।

यह अलग बात है कि कम ब्याज दर वाले समय में सोने ने प्रति माह लगभग 1.5 फीसदी का रिटर्न दिया है। मध्यम ब्याज दर वाले समय में भी इसने प्रति महीने 0.7 फीसदी का रिटर्न दिया है।

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