नई दिल्ली, 10 नवंबर (आईएएनएस)। देश के शहरों की जल प्रणालियों में लीकेज से बड़े पैमाने पानी का नुकसान हो जाता है, जिसे स्टेनलेस स्टील पाइपों के जरिए 40 फीसदी तक कम किया जा सकता है। यह जानकारी स्टेनलेस स्टील उद्योग की सर्वोच्च संस्था इंडियन स्टेनलेस स्टील डेवलपमेंट एसोसिएशन (इस्डा) द्वारा यहां आयोजित एक सम्मेलन में दी गई।
‘स्टेनलेस स्टील फॉर वाटर सर्विस पाइपलाइंस, ट्रीटमेंट एंड स्टोरेज 2017’ शीर्षक सम्मेलन में जल वितरण प्रणालियों में पानी के नुकसान को दूर करने के लिए उपयुक्त समाधानों पर जल एवं स्वच्छता, आवासीय एवं शहरी मामलों और इस्पात मंत्रालयों के साथ विचार-विमर्श किया गया।
सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर इस्पात राज्य मंत्री विष्णु देव साई ने कहा, “सुरक्षित पेयजल पूरे देश के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है। इस्तेमाल योग्य पानी के अभाव की वजह से स्वच्छता और स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं लंबे समय से बनी हुई हैं। खराब पाइपलाइनों की वजह से पेयजल प्रदूषित हो रहा है। इसके अलावा प्लास्टिक वाटर पाइप्स के जरिये लीकेज की समस्या से भी पानी का नुकसान बढ़ा है। स्टेनलेस स्टील वाटर पाइप पानी के रिसाव की समस्या से मुक्त, मजबूत, टिकाऊ और रीसाइकल योग्य हैं।”
विश्व बैंक के अनुमानों के अनुसार दुनियाभर में गैर-राजस्व जल की कुल लागत 14 अरब डॉलर सालाना है।
इस अवसर पर आईएसएसडीए ने ‘स्टेनलेस स्टील फॉर वाटर सर्विस पाइपलाइंस, ट्रीटमेंट स्टोरेज 2017’ नाम से एक पुस्तिका भी जारी की।
खराब पाइपलाइनों की वजह से पानी के रिसाव पर प्रकाश डालते हुए इस्पात मंत्रालय के सचिव डॉ. अरुणा शर्मा ने खराब और टूटी-फूटी पाइपलाइनों की वजह से पानी के दूषित होने की समस्या पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “पानी की गुणवत्ता के नुकसान और इसके दूषित होने की वजह से स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं। पाइपलाइन के लिए मैटेरियल का चयन करते वक्त इन समस्याओं का ध्यान रखे जाने की जरूरत है।’
जिंदल स्टेनलेस के वाइस चेयरमैन अभ्युदय जिंदल ने कहा, “हम दीर्घावधि समाधानों का इस्तेमाल कर दूषित जल से भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज को होने वाले वित्तीय नुकसान को नियंत्रित कर सकते हैं। अर्थव्यवस्था और समाज को इससे लगभग 36,600 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ है जो वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में सिंचाई फंड का लगभग सात गुना है।”
सम्मेलन में टोक्यो, सिओल और ताइपेई जैसे शहरों के अंतर्राष्ट्रीय उदाहरणों पर प्रकाश डाला गया जिन्होंने लगभग 20 साल पहले ही स्टेनलेस स्टील पाइपलाइनों को अपना लिया था और पानी के नुकसान को 27 प्रतिशत से घटकर 2 प्रतिशत पर सीमित किया।
एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) की दिल्ली शाखा द्वारा 2016 में कराए गए एक अध्ययन के अनुसार दिल्ली में लगभग 9,000 किलोमीटर लंबी जल आपूर्ति लाइनों के नेटवर्क में लीकेज की समस्या से 40 प्रतिशत जल आपूर्ति को नुकसान पहुंचता है।
इस्डा के अध्यक्ष केके पहूजा ने कहा, “इस्डा विभिन्न उद्योगों में स्टेनलेस स्टील को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत रहा है। जल और स्टेनलेस स्टील एक-दूसरे के लिए ही बने हैं। स्टेनलेस स्टील जल प्रबंधन के लिए आर्थिक और सामाजिक तौर पर पानी के नुकसान को ध्यान में रखकर किफायती समाधान मुहैया कराता है।”