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चरमराती अर्थव्यवस्था से सिसकती माँ भारती

August 20, 2019 9:28 am by: Category: सम्पादकीय Comments Off on चरमराती अर्थव्यवस्था से सिसकती माँ भारती A+ / A-

hqdefaultआज भारत में आर्थिक बदहाली से हाहाकार मचा हुआ है या उसके वीभत्स स्वरूप के आने का आगाज है। ,देशभक्ति जज्बा अवश्य इस समस्या को धारा 370 हटाने की तरफ गर्वान्वित स्वरूप में देख रहा है लेकिन दैनिक पारिवारिक आवश्यकताएं और उनकी पूर्ति न हो सकने की स्थिति में होने वाला विप्लव सोच कर भी दिल घबरा रहा है.भारत की अर्थव्यवस्था घरेलु पूँजी संचय पर आधारित है ,जब-जब वैश्विक आघात अर्थव्यवस्था पर पड़ा भारत ने उसका अपनी सचित पूँजी से डटकर मुकाबला किया और भारतीय जनता उस आघात से विचलित न होने पायी।

 

भारत एक समय मे सोने की चिडिया कहलाता था। आर्थिक इतिहासकार एंगस मैडिसन के अनुसार पहली सदी से लेकर दसवीं सदी तक भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी।ब्रिटिश काल में भारत की अर्थव्यवस्था का जमकर शोषण व दोहन हुआ जिसके फलस्वरूप 1947 में आज़ादी के समय में भारतीय अर्थव्यवस्था अपने सुनहरी इतिहास का एक खंडहर मात्र रह गई। आज़ादी के बाद से भारत का झुकाव समाजवादी प्रणाली की ओर रहा। सार्वजनिक उद्योगों तथा केंद्रीय आयोजन को बढ़ावा दिया गया। बीसवीं शताब्दी में सोवियत संघ के साथ साथ भारत में भी इस प्रणाली का अंत हो गया। 1991 में भारत को भीषण आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा जिसके फलस्वरूप भारत को अपना सोना तक गिरवी रखना पड़ा। उसके बाद नरसिंह राव की सरकार ने वित्तमंत्री मनमोहन सिंह के निर्देशन में आर्थिक सुधारों की लंबी कवायद शुरु की जिसके बाद धीरे धीरे भारत विदेशी पूँजी निवेश का आकर्षण बना और संराअमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी बना। १९९१ के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था में सुदृढ़ता का दौर आरम्भ हुआ। इसके बाद से भारत ने प्रतिवर्ष लगभग 8% से अधिक की वृद्धि दर्ज की। अप्रत्याशित रूप से वर्ष २००३ में भारत ने ८.४ प्रतिशत की विकास दर प्राप्त की जो दुनिया की अर्थव्यवस्था में सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था का एक संकेत समझा गया।

साल 2008 में आई वैश्विक मंदी के दौर में जब दुनिया की कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की चूलें हिल गई थीं, तमाम झंझावातों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती से अपने पांव डिगाए रही थी. तब देश में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी. तब भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाली जो वजहें थीं, अब पीएम मोदी ने मौजूदा दौर में भी ऐसी ही वजहों के सहारे आगे बढ़ने की अपील की है. लालकिले की प्राचीर से अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है. देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए पीएम मोदी ने मंत्र दिया है-लकी कल के लिए लोकल. देश में राजनीतिक स्थ‍िरता का फायदा मिलने का संकेत करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘जब राजनीतिक स्थिरता होती है तो दुनिया का भरोसा बनता है.

भारत में मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2019 के बजट प्रस्तुतीकरण के बाद चिदंबरम ने कहा ,चिदंबरम ने कहा कि इस सरकार को विरासत में ऐसी अर्थव्यवस्था मिली थी जो तेजी से आगे बढ़ रही थी. दुर्भाग्य से पहले दो साल बाद ही सरकार लड़खड़ाने लगी और रफ्तार थमने लगी. इसकी मुख्य वजह नोटबंदी, गलत तरीके से जीएसटी का क्रियान्वयन और कर-आतंकवाद है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस बराबरी और सामाजिक न्याय के साथ उच्च वृद्धि दर की हिमायती है. मोदी सरकार के दौर में ये तीनों बातें प्रभावित हुई हैं.

 

ऑटोमोबाइल सेक्टर में जो स्थिति पिछले कुछ महीनों से देखने में आ रही है, वो देश की आर्थिक स्थिति के लिए ठीक नहीं कही जा सकती है.ऑटोमोबाइल सेक्टर में पिछले चार महीनों के दौरान ना सिर्फ उत्पादन में कमी आई है, बल्कि खरीदार भी कम हुए हैं इसके साथ ही बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी भी जा रही है. उद्योग संगठन फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (एफएडीए) ने दावा किया है कि पिछले तीन महीने में कार और बाइक की बिक्री में गिरावट के चलते एजेंसियों और डीलरों ने ही करीब दो लाख कर्मचारियों की छंटनी की है. पूरे ऑटोमोबाइल सेक्टर में तो ये संख्या कहीं ज्यादा है.ऑटोमोबाइल उद्योग पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें न सिर्फ वाहनों का निर्माण और उनकी बिक्री ही शामिल है बल्कि इस उद्योग में छोटे-बड़े कलपुर्जों को निर्माण से लेकर स्टील इंडस्ट्री तक इसका विस्तार है.

नोटबंदी,जीएसटी एवं देश में सामजिक अस्थिरता के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे रसातल की और जाने लगी है ,हमने बाजार का सर्वेक्षण किया ,लघु-मध्यम उद्योग धंधों के निरिक्षण एवं आंकलन के लिए औद्योगिक क्षेत्रों में गए वीरान क्लस्टर्स ने हमारा स्वागत किया ,अधिकांश मुख्य प्रवेशद्वारों पर ताले मिले ,,चाय-पान की दुकाने ग्राहकों की भीड़ से मुक्त नजर आयीं कुछ बड़ी उद्योग इकाईओं में कार्य चलता मिला किन्तु वहां भी आधे से अधिक कर्मचारियों की छटनी हो गयी है,हम थोक बाजार के उस स्थान पर पहुंचे जहाँ मालवाहक वाहनों का जमघट रहता है एक दिन में पांच-छह फेरे लगाने वाले गाडी मालिकों ने बताया दो – चार दिन में एक फेरा मिलना भी मुश्किल है , आप बाजार की स्थिति का अंदाजा उसकी इस नब्ज से लगा सकते हैं।

लेकिन मेरा भारत फिर भी उल्लसित है ,प्रसन्न है कारण कश्मीर से धारा 370 हटा दी गयी है ,इसके बहुप्रतीक्षित समर्थकों में मैं भी हूँ लेकिन उसका यह समय कहीं देश पर भारी न पड़ जाए ,भारी-भरकम खर्च सेना पर आने वाला है ,अमरीका की व्यापारिक स्थिति भी ठीक नहीं वह भी अपने हथियार भारत को बेचने की जुगत में लगा हुआ है उअके बदले कुछ मुद्दों पर वह भारत का वैश्विक समर्थन करेगा लेकिन अपना माल ठिकाने लगा कर भारत से धन वसूलेगा ,हमारे बैंक कंगाल हो रहे हैं ,निवेशकों ने निवेश रोक लिया है उनका भरोसा बैंकों पर से उठता जा रहा है ,बड़े व्यापारी आर्थिक घोटाले कर विदेश भाग गए है उनसे वसूली असंभव दिख रही है ,आखिर मौजूदा सरकार कैसे देश को इस संकट से उबारेगी यह देखना है  …..  जो असंभव प्रतीत हो रहा है.

अनिल कुमार सिंह
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