जून महीने के मध्य में मौसम ने अचानक करवट बदली और बरसात की तबाही मची। अभी इस सदमे को देश भूल भी नहीं पाया है और संभावना बन रही है कि आने वाले कुछ दिनों में मूसलाधार वर्षा होगी। इसका कारण यह है कि नवग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह गुरू जो 6 जून से अस्त चल रहा था, अब उदित हो चुका है।
गुरू का उदित होना उन क्षेत्रों के लिए सुखद हो सकता है जहां लोग अब तक बरसात की दो बूंद के लिए तरस रहे हैं। गुरू इन दिनों अपनी शत्रु राशि मिथनु में गोचर कर रहा है जो इसके शुभ प्रभाव में कमी कर रहा है। फिर भी अस्त से उदय होना कुछ हद तक अनुकूल रहेगा।
बीते दिनों जिस प्रकार आसमान से आफत बरसी थी, वैसी बरसात नहीं होगी। लेकिन उत्तराखंड, जम्मू, हिमाचल, बिहार, पूर्वी उत्तरप्रदेश, पूर्वोत्तर राज्यों में भारी वर्षा और बाढ़ आ सकती है। इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सजग रहना चाहिए।
इस साल वर्षा की कुण्डली में विषम वर्षा का संकेत है इसलिए कहीं कहीं लोगों को कम वर्षा के कारण निराशा भी हो सकती है। गुरू के उदय होने से केदारनाथ में हुई घटना के कारण आस्था की नींव में जो दरारें आई हैं, उसमें मरहम लगेगा। राजनीतिक दलों में चल रही आपसी खींचातानी में थोड़ी कमी आएगी।
राजनेता नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखकर अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर सकते हैं। दूसरी ओर युद्घ और खून का कारक ग्रह मंगल 5 जुलाई को वृष राशि से निकलकर मिथुन राशि में पहुंच रहा है। इस राशि में मंगल के पहुंचने से गुरू, बुध एवं सूर्य के साथ मंगल का संबंध बनेगा।
इससे शनि और मंगल का छठे आठवें घर का संबंध समाप्त होगा जिससे मंगल के विपरीत प्रभाव में कुछ कमी आएगी लेकिन शत्रु राशि में चतुर्ग्रही योग के कारण सीमा पर तनाव की स्थिति बनी रहेगी। सरहद पार से घुसपैठ की कोशिश जारी रहेगा। कुछ स्थानों पर नक्सली और आतंकी घटनाओं के कारण जन और धन की हानि होगी। मंगल खेल का कारक ग्रह भी है। इसलिए खेल जगत से भी कुछ निराशाजनक खबरें आ सकती हैं।