नई दिल्ली । बीते चार वर्षो में कर्ज दरों को नीचे लाने में नाकाम रही केंद्र सरकार चुनावी साल में कोई कोताही नहीं बरतना चाहती। ऐसे समय जब रिजर्व बैंक [आरबीआइ] भी ब्याज दरों को घटाने को लेकर हाथ खड़े कर चुका है, वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बैंकों को साफ कह दिया है कि वे कर्ज सस्ता करें। वित्त मंत्री के इस फरमान का असर जल्द दिखना शुरू भी हो गया है। बैंक ऑफ इंडिया ने [बीओआइ] अपने बेस रेट में 0.25 फीसद की कमी भी कर दी है। इससे बैंक का कर्ज इतना ही सस्ता हो जाएगा।
बुधवार को सरकारी बैंकों के प्रमुखों के साथ वित्त मंत्री की बैठक थी। चिदंबरम का साफ निर्देश था कि बैंकों को बेस रेट [जिस दर पर कर्ज की दरें तय होती हैं] घटाना चाहिए। बाद में वित्त मंत्री ने बताया, ‘बैंकों के लिए मुद्रा की लागत कम हुई है। उनके पास ब्याज दरों को घटाने का मौका है। हमने उन्हें सुझाव दिया है कि वे जुलाई के महीने में भी बेस रेट को घटाने पर विचार करें। बैंकों का यह कदम घरेलू अर्थव्यवस्था की सुस्त रफ्तार को तेज करने में काफी अहम साबित हो सकता है।’
वैसे, देश के दिग्गज बैंक भारतीय स्टेट बैंक [एसबीआइ] ने आधार दर [बेस रेट] में फिलहाल कटौती से इन्कार किया है। एसबीआइ के प्रमुख प्रतीप चौधरी ने बताया कि उनके बैंक का बेस रेट पहले से ही काफी कम है। वहीं, सार्वजनिक क्षेत्र के बीओआइ ने अपने बेस रेट को 10.25 से घटाकर 10 फीसद कर दिया है। कुछ अन्य बैंकों की तरफ से जल्द कर्ज की दरों में कमी की संभावना है।
इस समय एसबीआइ को छोड़ अन्य सरकारी बैंकों का औसत बेस रेट 10.2 फीसद है। स्टेट बैंक की यह आधार दर 9.7 फीसद है, जो पूरे बैंकिंग उद्योग में सबसे कम है। दरअसल, ब्याज दरों को घटाने का रास्ता रिजर्व बैंक साफ करता है, लेकिन महंगाई के खतरे की वजह से आरबीआइ गवर्नर डी सुब्बाराव ऐसा कदम उठाने से लगातार मना कर रहे हैं। सुब्बाराव का कहना है कि अगर ब्याज दरें घटाई गईं तो महंगाई फिर भड़क सकती है।
इसके उलट केंद्र सरकार बार-बार यह कहती रहती है कि कर्ज की दरें कम होनी चाहिए। पिछली दफा मौद्रिक नीति की समीक्षा में जब आरबीआइ ने ब्याज दरों को नहीं घटाया था तब वित्त मंत्री ने कहा था, ‘अगर विकास दर को तेज करने की जिम्मेदारी सिर्फ वित्त मंत्रालय की है तो फिर यही सही।’ बहरहाल, अब साफ है कि वित्त मंत्रालय आगामी चुनावों को देखते हुए कर्ज को सस्ता करने के लिए अपने स्तर पर ही दबाव बनाने में जुट गया है।
सरकारी बैंक देंगे 50 हजार नौकरियां
नई दिल्ली। वित्त मंत्री ने कर्ज दरें सस्ता करने के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर ज्यादा से ज्यादा शाखाएं खोलने का भी दबाव बनाया हुआ है। इससे केंद्र की संप्रग सरकार समावेशी विकास का दावा कर सकेगी।
इसके अलावा चुनावी साल में लोगों को ज्यादा नौकरियां भी मिलेंगी। बैठक के बाद चिदंबरम ने बताया कि सरकारी बैंक इस साल 8,000 नई शाखाएं खोलेंगे। इसके लिए ये बैंक 50 हजार कर्मचारी भर्ती करेंगे।