(खुसुर-फुसुर)-मप्र में संघ के अनुषांगिक संगठन किसान संघ से निष्काषित नेता कक्काजी ने किसानों का नया संगठन तैयार किया एवं किसानों के हित के लिए एक आन्दोलन की रूपरेखा बनायी.कक्का जी की संगठन क्षमता से घबरा सत्ता पक्ष ने राजनैतिक चाल चली एवं किसान संघ के शिवकांत दीक्षित को आगे कर दिया.शिवकांत दीक्षित की मैदानी पकड़ एवं किसानों में उनके प्रति विश्वास न होने से किसानो को वे आन्दोलन में जोड़ विश्वास प्राप्त नहीं कर सके सिर्फ कार्यालय में बैठ बयान देते रह गए ,मुख्यमंत्री ने एक सुबह बयान दिया की वे शाम तक आन्दोलन समाप्त करवा देंगे और पूर्व-नियोजित योजना अनुसार वह सफलता पूर्वक करवा भी दिया इसमें प्रमुख भूमिका शिवकांत दीक्षित की रही इस राजनैतिक पैंतरे से किसान आक्रोशित हो गए एवं उन पर पुलिस ने गोलीबारी कर दी .यह तय है की सरकार की मंशा किसानों की ह्त्या की नहीं थी लेकिन प्रशासन ने भी धैर्य न रखते हुए सीनों पर गोलिया दागीं .यदि मुख्यमंत्री ने सीधे अन्य संगठनों को भरोसे में लिया होता एवं उन्हें विश्वास दिलाया होता की वे उनके लिए भरोसेमंद हैं तब यह स्थिति मप्र में न होती.
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