रायपुर। सौ करोड़ की लागत से तैयार ट्राइबल टूरिज्म सर्किट के माध्यम से पर्यटक राज्य की आदिवासी व जनजातीय संस्कृति से जहां रू-ब-रू होंगे वहीं छत्तीसगढ़ पर्यटन को दुनिया के पैमाने पर नई पहचान मिलेगी। इस योजना के आदिवासी इलाकों में एक बेहतरीन सर्किट तैयार की गई है।

पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत छत्तीसगढ़ की आदिवासी व जनजातीय संस्कृति को देश-दुनिया से परिचित कराने के लिए सौ करोड़ की लागत से एक टूरिज्म सर्किट तैयार की गई है, जिसे ट्राइबल टूरिज्म सर्किट नाम दिया गया। इस सर्किट में जशपुर, कुनकुरी, मैनपाट, महेशपुर, कुरदर, सरोधा दादर, गंगरेल, नथियानवागांव, कोंडागांव, जगदलपुर, चित्रकोट व तीरथगढ़ को एक साथ जोड़ा गया है।इस सर्किट के माध्यम से पर्यटक जहां प्राकृतिक छटा का आनंद लेंगे वहीं आदिवासी संस्कृति से परिचित भी होंगे। इस सर्किट के विकसित होने से छत्तीसगढ़ के पर्यटन को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। पर्यटन मंडल छत्तीसगढ़ के जीएम डॉ. संजय सिंह के बताया कि इस योजना को विश्व पर्यटन के मानक के अनुरूप विकसित किया गया है। पर्यटकों को पूरी सुविधाएं व आनंद मिले इसका ख्याल रखा गया है ।

ट्राइबल टूरिज्म सर्किट का उद्घाटन 14 सितंबर को लेक व्यू रिसोर्ट गंगरेल धमतरी से हुआ.केंद्रीय पर्यटन मंत्री केजे अल्फांस छत्तीसगढ़ के पर्यटन मंत्री दयालदास बघेल की उपस्थिति में उद्घाटन किया.इस दौरान महानिदेशक पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार सत्यजीत राजन तथा क्षेत्रीय निदेशक भारत सरकार मुंबई नीला लाड मौजूद रहे. पर्यटन विभाग राज्य की सबसे बड़ी पर्यटन परियोजना के उद्घाटन की तैयारियों जुटा था.