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वेब पत्रकारिता संघर्ष के दौर में …आर्थिक जद्दोजहद से गुजर रही

November 18, 2018 1:37 pm by: Category: सम्पादकीय Comments Off on वेब पत्रकारिता संघर्ष के दौर में …आर्थिक जद्दोजहद से गुजर रही A+ / A-

अनिल कुमार सिंह

(9039130023)

सांकेतिक चित्रवेब पत्रकारिता अपने संघर्ष के दौर से गुजर रही है .वेब पत्रकारिता , प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता का सबसे उम्दा विकल्प है।एक टीवी चैनल की शुरुआत के लिए लाइसेंस फीस, नेटवर्क, परफोरमेंस बैंक गारंटी, अपलिंकिंग शुल्क, हर एक भाषा के लिए अलग से शुल्क, मशीनरी, स्टूडियो, स्टॉफ का खर्चा, वितरण एवं संचालन के अन्य खर्च इतनी बड़ी राशि होती है जिसे वहन करना हर किसी के बूते की बात नहीं है। ऐसा ही खर्च एक रेडियो स्टेशन स्थापित करने पर भी आता है। अखबार की बात करें तो वहां छोटे या स्थानीय स्तर पर किए गए प्रयास में पैसा कुछ कम लगता है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर या राज्य स्तर पर की गई शुरुआत काफी महंगी बैठती है। मीडिया के इन माध्यमों में बड़ी धनराशि खर्च करने के बाद भी यह तय नहीं है कि पहुंच जन-जन तक हो, अथवा सीमांत और दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंच बन पाए। जबकि, वेब मीडिया में ऐसा नहीं है। इस क्षेत्र में लागत कुछ हजार ही रहती है।

इस माध्यम से आपकी पकड़ पूरी दुनिया पर रहती है लेकिन भारत के वर्तमान चुनावी परिवेश में राजनैतिक दल इस माध्यम को स्वीकार करने में हिचक रहे हैं. समाचार संस्थानों की आर्थिक मदद का सबसे बड़ा हिस्सा विज्ञापनों से आता है राजनैतिक दल चुनावों के समय भारी-भरकम राशि चुनाव प्रचार विज्ञापनों में खर्च करते हैं लेकिन अभी भारत में चार राज्यों के चुनावों में भाजपा ,कांग्रेस जैसे प्रमुख दल वेब संस्थानों को विज्ञापन देने में दूरी बनाए हुए हैं.आज ये संस्थान वह हैं जिनकी वजह से कोई खबर छुपायी नहीं जा सकती.लोकतंत्र को सुचारू रूप से चलाने में वेब पत्रकारिता महती भूमिका निभा रहा है.

वेब पत्रकारिता को काफी संघर्षों के बाद राज्य शासनों ने स्थान दिया है आज उन्हें अधिमान्यता,विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा प्रदत्त अन्य सुविधाएं प्रदान की जानें लगी हैं,लेकिन शासन एवं राजनैतिक दलों द्वारा आज भी वेब पत्रकारिता की महत्ता को दूर रखा गया है.आगामी चुनावों में वेब पत्रकारिता एक महत्वपूर्ण सहभागिता निभाएगी यह तय है.

मौजूदा स्थिति को देखें तो दुनिया के हरेक मीडिया हाउस ने यह मान लिया है कि बगैर वेब में गए उनका उद्धार नहीं हैं। हमारे देश में इसका जिस तेज गति से विस्तार हो रहा है उसे देखते हुए अगले दो से तीन साल बाद किसी भी अखबार, टीवी चैनल का मुख्य चेहरा यही होगा। मैं दो साल पहले एक राष्ट्रीय अखबार के संपादकीय हैड से मिला था। उनका कहना था कि हम अब केवल प्रिंट माध्यम का काम जानने वालों को नौकरी नहीं दे रहे। अब हम न्यूज लिखने की कला के अलावा कैमरे का उपयोग करने में निपुण और वेब माध्यम की आवश्यकताओं को समझने वाले मीडियाकर्मियों की ही भर्ती कर रहे हैं।बदले समय और बदली रुचि में हरेक अखबार, टीवी चैनल की यह जरूरत बन गई है कि सारी खबरों को टैक्स्ट के अलावा ऑडियो-वीडियो फार्म में वेब पर लाया जाए। बदले माहौल में खासकर युवाओं के पास कतई समय नहीं है कि वे अखबार को बैठकर पढ़ें या टीवी के सामने सभी कामधाम छोड़कर न्यूज जानने के लिए बैठ रहें और अपनी पसंद की खबरों के आने तक इंतजार करें।

वेब पत्रकारिता में जोरदार क्रांति का जनक मोबाइल को माना जा सकता है। मोबाइल खासकर स्मार्ट फोन के आने के बाद लोगों की आदतों में तेजी से बदलाव आया और इंटरनेट कनेक्शन के माध्येम से वे चलते फिरते, आफिस में काम करते अथवा कहीं भी, कभी भी समाचार जान सकते हैं, अपने मनपसंदीदा कार्यक्रम को देख या सुन सकते हैं। इस सच से कोई इनकार नहीं कर सकता कि शहरों, कस्बों और गांवों तक मोबाइल ने अपनी पहुंच बना ली है। सस्ते स्मार्ट फोन आपको आबादी के बड़े हिस्से के हाथों में देखने को मिल जाएंगे।

एक अखबार, टीवी चैनल या रेडियो स्टेशन की पहुंच की एक सीमा होती है और वह क्षेत्र विशेष में ही अपनी पहुंच बना पाते हैं जबकि वेब पत्रकारिता में ऐसा नहीं है। आप दुनिया के किसी भी कोने में रहे लेकिन मनचाही सूचनाओं को वहीं पा सकते हैं।टीवी चैनल तो केवल अपनी बात ही कहते हैं वहां अपने दर्शकों से सीधे फीडबैक की कोई सुविधा नहीं है जबकि वेब पत्रकारिता में आप किसी समाचार को पढ़ने या कार्यक्रम को देखने के बाद तत्काल अपनी टिप्पणी दे सकते हैं और वह उसी समय प्रकाशित हो जाती है। यह माध्यम सीधे अपने पाठकों से संवाद स्थापित करता है जिसकी वजह से पाठक स्वयं रिपोर्टर की भूमिका निभा सकता है।

जिस तरह से वेब पत्रकारिता संघर्ष कर आगे बढ़ रही है भविष्य में इसकी बढती महत्ता से इनकार नहीं किया जा सकता है.शासन को इसके संवर्धन एवं संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे ताकि लोकतंत्र के सम्यक विकास एवं संरक्षण में वेब पत्रकारिता अपने प्रयास का पूरा फल राष्ट्र को दे सके.

वेब पत्रकारिता संघर्ष के दौर में …आर्थिक जद्दोजहद से गुजर रही Reviewed by on . अनिल कुमार सिंह (9039130023) वेब पत्रकारिता अपने संघर्ष के दौर से गुजर रही है .वेब पत्रकारिता , प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता का सबसे उम्दा विकल्प है।एक टीव अनिल कुमार सिंह (9039130023) वेब पत्रकारिता अपने संघर्ष के दौर से गुजर रही है .वेब पत्रकारिता , प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता का सबसे उम्दा विकल्प है।एक टीव Rating: 0
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