मध्यप्रदेश में जनता ने सत्ता परिवर्तित कर कांग्रेस दल के हाथों में दे दी यह जीत बहुत बड़ी नहीं है और ना ही स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ है लेकिन 15 वर्षों से सत्ता से दूर ,संगठन विहीन बुझती कांग्रेस के लिए यह विजय संजीवनी बूटी का कार्य कर गयी है इसके साथ दो अन्य राज्यों में विजय ने कांग्रेस को भारतीय राजनीति के धरातल पर पुनः स्थापित कर दिया है इसका असर बिहार में 22 जीती हुई सीटों के स्थान पर 17 सीटों पर समझौता भाजपा की मजबूरी प्रदर्शित कर रहा है.जीएसटी पर राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा द्वारा पुनरावलोकन कार्यशालाएं उसके द्वारा हुई गलतिओं की स्वीकारोक्ति प्रदर्शित कर रहा है .
हम यहाँ चर्चाः कर रहे हैं मप्र में कांग्रेस की सरकार एवं गठित मंत्रिमंडल की क्या यह मंत्रिमंडल जनहित के कार्यों को समाज के सभी वर्गों में सुचारू प्रसारित कर पायेगा ?क्या कांग्रेस के सिपहसालारों का व्यक्तिगत अभिमान एकजुट हो कार्य करने देगा जिसमें शंका अब विपक्षी पार्टी भाजपा को भी है इसी दम पर वह छह महीने बाद पुनः सत्ता में वापसी के कसीदे पढने लगी है अपने कार्यकर्ताओं को भरोसा दे रही है की छह महीने में वापस सत्ता में वापसी कर लेंगे इसके पीछे आगामी लोकसभा चुनाव भी हैं जिसके लिए भाजपा अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बना कर रखना चाहती है कांग्रेस के सामने विपक्षी भाजपा एक बड़ी चुनौती है.
कांग्रेस ने अपने मंत्रिमंडल गठन के तुरंत बाद नवनियुक्त मंत्रियों की बैठक मुख्यमंत्री कमलनाथ की अगुआई में अपने पार्टी कार्यालय में ली लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की इस मीटिंग में उपस्थिति एवं निर्देशन ने सवाल खड़ा कर दिया है क्या दिग्विजय मुख्यमंत्री कमलनाथ को सुचारू कार्य करने देंगे या अपनी उपस्थिति से परेशानियां उत्पन्न करेंगे? वैसे भी चर्चा में है की मुख्य सचिव वे अपने मनमर्जी का बनवाना चाहते हैं जो घोर विवादित अधिकारी है जबकि कमलनाथ उस अधिकारी को नहीं चाहते स्पष्ट है दिग्विजय सिंह सत्ता की डोर मुख्यमंत्री न होते हुए भी अपने हाथों में रखना चाहते हैं.
कमलनाथ के प्रबंधन का सफल तरीका चुनाव से लेकर सत्ता के निर्णयों में स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहा है.निर्णयों से लेकर मंत्रिमंडल गठन के अगले दिन उच्चाधिकारियों की बैठक से ले प्रेस से मुखातिब होना उनकी कार्यशैली की सटीकता दर्शाता है अब देखना है मप्र की आधी जनता द्वारा दिया आधा-अधूरे बहुमत वाली सरकार ले कर कमलनाथ और उनकी टीम कैसे कार्य करती है एवं मप्र की जनता को कैसे सुखी रखती है?
चुनौतियां बहुत हैं कर्ज में डूबी हुयी सरकार का ताज कमलनाथ के सर पर है,भीतरघात,असंतुष्ट खेमा .मजबूत एवं घायल विपक्ष मुख्य चुनौतियाँ हैं जिनसे इस नयी टीम को पार पाना है हमारी शुभकामनाएं मप्र के हित में कार्य करने के लिए कमलनाथ एवं उनके नए मंत्रिमंडल को ……..
अनिल कुमार सिंह
धर्मपथ से