Sunday , 19 May 2024

ब्रेकिंग न्यूज़
Home » फीचर » छत्तीसगढ़ : नक्सल क्षेत्र में हर 2 दिन पर 1 हत्या

छत्तीसगढ़ : नक्सल क्षेत्र में हर 2 दिन पर 1 हत्या

April 16, 2015 8:38 am by: Category: फीचर Comments Off on छत्तीसगढ़ : नक्सल क्षेत्र में हर 2 दिन पर 1 हत्या A+ / A-

images (3)रायपुर- नक्सलियों की हिंसा और हत्या के मामले में छत्तीसगढ़ प्रदेश ‘सिरमौर’ बनता जा रहा है। 11 वर्षो की तुलनात्मक आंकड़ों से यह बात सामने आई है। सन् 2005 से इस वर्ष 5 अप्रैल तक राज्य में 2232 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें 846 सुरक्षाकर्मी, 677 आम नागरिक तथा 709 नक्सली शामिल बताए जाते हैं। आंकड़ों की मानें तो हर दो दिन पर नक्सली हिंसा में एक व्यक्ति की मौत (हत्या) होती है।

छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद यूं तो अविभाजित मध्यप्रदेश में अलग छत्तीसगढ़ राज्य बनने पर विरासत में मिला था, पर सलवा जुडूम जैसे सरकारी संरक्षण में चलाए गए आंदोलन के चलते नक्सली हिंसा में और वृद्धि दर्ज की गई।

नक्सलवाद से निपटने के लिए हालांकि पंजाब के वरिष्ठ पुलिस अफसर केपीएस गिल की भी सेवाएं ली गईं, लेकिन वांछित सफलता उन्हें भी नहीं मिल सकी।

सलवा जुडूम के चलते नक्सली और ग्रामीणों के बीच तकरार बढ़ी और 644 से अधिक गांव खाली हो गए तथा ग्रामीण रहवासियों को सलवा जुडूम कैम्प में शरण लेनी पड़ी थी। 2005 से सलवा जुडूम आंदोलन की स्थापना के बाद 300 सुरक्षा कर्मी सहित 800 से अधिक लोगों की हत्या का आरोप नक्सलियों पर लगा है। 23 राहत शिविरों में हजारों लोग रहते थे। धीरे-धीरे सलवा जुडूम आंदोलन ने दम तोड़ दिया। शिविर से कुछ लोग अपने गांव लौट गए तो कुछ पड़ोसी राज्यों में पलायन कर गए कुछ लोग अब पड़ोसी राज्यों से भी लौट रहे हैं।

सलवा जुडूम आंदोलन के चलते ही राज्य सरकार ने स्पेशल पुलिस ऑफिसर (एसपीओ) की भी नियुक्ति की थी। मासिक मानदेय 3000 रुपये पर करीब 4000 युवाओं की भर्ती की गई थी। फरवरी 2009 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर एसपीओ की नियुक्ति, हथियार नहीं देने का आदेश पारित करने के बाद यह व्यवस्था समाप्त हो गई है।

वर्ष 2010 में छत्तीसगढ़ के ताड़मेटला में 76 सीआरपीएफ के जवानों को घेरकर नक्सलियों द्वारा हत्या किए जाने की घटना देश के इतिहास में नक्सलियों द्वारा की गई सबसे बड़ी वारदात के रूप में देखा गया था। वहीं राजनांदगांव के तत्कालीन पुलिस कप्तान विनोद कुमार चौबे की मदनवाड़ा (राजनांदगांव) में कुछ सुरक्षाकर्मियों सहित की गई हत्या भी बड़ी घटना थी। यानी हालात जस के तस हैं।

जिस क्षेत्र में सीआरपीएफ के प्रशिक्षण 76 जवानों की नक्सलियों ने घेरकर हत्या कर दी थी, उसी के पास नक्सलियों के सुरक्षित क्षेत्र में एसटीएफ के 69 जवानों की टुकड़ी भी शनिवार को नक्सलियों से घिर गई और सात जवान शहीद हो गए।

सवाल यही उठ रहा है कि बिना तैयारी के नक्सलियों के सुरक्षित क्षेत्र में एसटीएफ की छोटी टुकड़ी खोजी अभियान में किसके आदेश पर गई थी?

वर्ष 2005 से 12 अप्रैल 2015 तक छत्तीसगढ़ में 2232 लोगों की हत्या नक्सलियों के हमले में हुई है। इस हिसाब से औसतन दो दिनों में एक मौत होती है।

11 सालों में 896 सुरक्षा बल के जवान, 667 आम नागरिकों की मौत हुई है तो पुलिस द्वारा 709 नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया गया है। सर्वाधिक मौत का आंकड़ा 2006 में दर्ज है। इस साल 361 की मौत हुई थी, 2007 में 350, 2009 में 345 तथा 2010 में 327 लोगों की मौत हुई थी। इस वर्ष आज तक 30 लोगों की मौत हुई है, जिनमें 17 सुरक्षा बल के जवान नौ नागरिक तथा दो नक्सली बताए जाते हैं।

इस तरह नक्सलवाद प्रभावित राज्यों में छत्तीसगढ़ अभी सिरमौर बना हुआ है। 11 सालों में नक्सली हमले में 2232 झारखंड में 1344, आंध्र प्रदेश में 712 तथा ओडिशा में 612 एवं महाराष्ट्र में 424 लोगों की मौत हो चुकी है।

छत्तीसगढ़ : नक्सल क्षेत्र में हर 2 दिन पर 1 हत्या Reviewed by on . रायपुर- नक्सलियों की हिंसा और हत्या के मामले में छत्तीसगढ़ प्रदेश 'सिरमौर' बनता जा रहा है। 11 वर्षो की तुलनात्मक आंकड़ों से यह बात सामने आई है। सन् 2005 से इस व रायपुर- नक्सलियों की हिंसा और हत्या के मामले में छत्तीसगढ़ प्रदेश 'सिरमौर' बनता जा रहा है। 11 वर्षो की तुलनात्मक आंकड़ों से यह बात सामने आई है। सन् 2005 से इस व Rating: 0
scroll to top