Wednesday , 22 May 2024

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दान एवं पूजा में जल लेकर क्यों करते हैं संकल्प?

sankalpशास्त्रों में कहा गया है कि बिना संकल्प लिए किया गया दान, यज्ञ एवं पूजा करने से कोई लाभ नहीं मिलता है। इसलिए इन अनुष्ठानों को शुरू करने से पहले पुरोहित द्वारा अथवा स्वयं ही संकल्प कर लेना चाहिए।

संकल्प के लिए हाथ में फूल, तिल, कुश एवं कुछ पैसा होने चाहिए लेकिन इन सबसे जरूरी चीज है जल। बिना जल के संकल्प पूरा नहीं हो सकता।

इसके पीछे धार्मिक कारण के अलावा व्यवहारिक कारण भी है। धार्मिक कारण यह है कि मनुष्य का शरीर जिन पंच तत्वों से बना है उनमें एक तत्व जल है। चारों वेदों में सबसे पहला वेद ऋग्वेद है।

इसमें वरूण और इन्द्र को प्रमुख देवता के रूप में स्थान मिला है। वरूण ही जल रूप में मनुष्य शरीर में निवास करते हैं और बुद्धि एवं ज्ञान को नियंत्रित करते हैं।

हाथ में जल लेकर संकल्प करने का तात्पर्य यह है कि ‘हे वरूण अगर हम अपने संकल्प यानी वचन को पूरा नहीं करते हैं तो आप हमारी बुद्धि का नाश करके हमें पतन की ओर ले जाएंगे।

व्यवहारिक रूप में देखें तो मनुष्य के जीवन के लिए जल सबसे जरूरी तत्व है। भोजन के बिना भले ही हम दो से तीन दिन जीवत रह जाएं लेकिन जल न मिले तो प्राण निकलने लगता है।

शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति संकल्प लेकर अपने वचन को पूरा नहीं करता है उसकी आत्मा मृत्यु के बाद जल के बिना तड़पती है। इसलिए हाथ में जल लेकर ही संकल्प किया जाता है, ताकि व्यक्ति जो वचन ले उसे हर हाल में पूरा करे।

दान एवं पूजा में जल लेकर क्यों करते हैं संकल्प? Reviewed by on . शास्त्रों में कहा गया है कि बिना संकल्प लिए किया गया दान, यज्ञ एवं पूजा करने से कोई लाभ नहीं मिलता है। इसलिए इन अनुष्ठानों को शुरू करने से पहले पुरोहित द्वारा अ शास्त्रों में कहा गया है कि बिना संकल्प लिए किया गया दान, यज्ञ एवं पूजा करने से कोई लाभ नहीं मिलता है। इसलिए इन अनुष्ठानों को शुरू करने से पहले पुरोहित द्वारा अ Rating:
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