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महाकाल की सवारी

26_07_2013-Ujjainमध्य प्रदेश के उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे स्थित महाकालेश्वर मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह देश में शिव की आराधना के प्रमुख स्थानों में से भी एक है।

पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है। स्वयंभू, भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव को अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। महाकालेश्वर मंदिर एक विशाल परिसर में स्थित है, जहां कई देवी-देवताओं के छोटे-बड़े मंदिर हैं। मंदिर में प्रवेश करने के लिए मुख्य द्वार से गर्भगृह तक की दूरी तय करनी पड़ती है। मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुंड है। वर्तमान में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग तीन खंडों में विभाजित है। निचले खंड में महाकालेश्वर, मध्य के खंड में ओंकारेश्वर और ऊपरी खंड में नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। गर्भगृह में महाकालेश्वर का विशाल शिवलिंग है। सावन माह के हर सोमवार को भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष तक और इसी तरह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष से लेकर मार्गशीष माह के कृष्ण पक्ष तक उज्जैन में महाकाल की सवारी निकलती है। इसमें बड़ी संख्या में लोग व श्रद्धालु शामिल होते हैं।

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