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 शास्त्रीय संगीत का वजूद कभी मिट नहीं सकता : बॉम्बे जयश्री (साक्षात्कार) | dharmpath.com

Monday , 16 June 2025

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शास्त्रीय संगीत का वजूद कभी मिट नहीं सकता : बॉम्बे जयश्री (साक्षात्कार)

उदयपुर (राजस्थान), 13 फरवरी (आईएएनएस)। फिल्म ‘लाइफ ऑफ पाई’ के गाने ‘पाई लल्लाबाई’ के लिए ऑस्कर के लिए नामांकित हो चुकीं देश की चर्चित शास्त्रीय गायिका बॉम्बे जयश्री गौरवान्वित हैं कि शास्त्रीय संगीत विदेशी सरजमीं पर भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। वह कहती हैं कि कर्नाटक संगीत का दायरा बहुत बड़ा है और इसका वजूद कभी मिटने वाला नहीं है।

उदयपुर (राजस्थान), 13 फरवरी (आईएएनएस)। फिल्म ‘लाइफ ऑफ पाई’ के गाने ‘पाई लल्लाबाई’ के लिए ऑस्कर के लिए नामांकित हो चुकीं देश की चर्चित शास्त्रीय गायिका बॉम्बे जयश्री गौरवान्वित हैं कि शास्त्रीय संगीत विदेशी सरजमीं पर भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। वह कहती हैं कि कर्नाटक संगीत का दायरा बहुत बड़ा है और इसका वजूद कभी मिटने वाला नहीं है।

बॉम्बे जयश्री ने उदयपुर विश्व संगीत महोत्सव से इतर साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया, “शास्त्रीय संगीत दुनियाभर के संगीत का आधार है। शास्त्रीय संगीत की तुलना में अन्य संगीत के प्रति लोगों का रूझान कम हो सकता है, लेकिन शास्त्रीय संगीत का दायरा हमारी सोच से भी परे है और समय के साथ इसकी गुणवत्ता में सुधार हो रहा है।”

कहा जा रहा है कि आज के दौर में शास्त्रीय संगीतकार अपना वजूद बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, आप इस बात से कितना सहमत हैं? जवाब में जयश्री ने कहा, “शास्त्रीय संगीत को लेकर लोगों में भ्रम है कि हम अपना वजूद बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसका जवाब यही है कि मैं अभी तक शास्त्रीय संगीत का परचम थामे हुई हूं। शास्त्रीय संगीत का वजूद बना हुआ है और बना रहेगा।”

जयश्री अमूमन विदेश में भी शास्त्रीय संगीत पेश करती रहती हैं। इस संगीत के प्रति विदेश में किस तरह का रुझान है? वह कहती हैं, “मैं ही नहीं, बल्कि हर शास्त्रीय संगीतज्ञ साल में एक या दो बार अमेरिका और यूरोप में जाकर प्रस्तुति जरूर देता है। वहां इसके प्रति रुझान हाल के दिनों में तेजी से बढ़ा है। संगीत की मूलभूत जानकारी नहीं होने के बावजूद लोग इसे पसंद कर रहे हैं और सीख रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी से लोग भारत आकर शास्त्रीय संगीतकार का प्रशिक्षण ले रहे हैं।”

जयश्री बच्चों को शास्त्रीय संगीत की शिक्षा भी दे रही हैं। बच्चों में संगीत के प्रति ललक के बारे में उन्होंने बताया, “मैं तमिलनाडु में बच्चों को शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दे रही हूं। चेन्नई में ऑर्टिस्टिक बच्चों को संगीत सिखा रही हूं। मां-बाप अपने बच्चों को छोटी सी उम्र से ही शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दिलाना शुरू कर देते हैं। इसका कारण यह भी है कि शास्त्रीय संगीत हमें अनुशासन और मानव मूल्यों को समझने में मदद करता है।”

वह कहती हैं कि हर शख्स संगीतकार बनने के मकसद से शास्त्रीय संगीत नहीं सीखता, यह संगीत हमें जीवन जीने की कला सिखाता है।

2013 में फिल्म ‘लाइफ ऑफ पाई’ में तमिल लोरी गाने के लिए जयश्री को ऑस्कर पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया था, लेकिन यह उपलब्धि कुछ विवाद लेकर भी आई थी। यह पूछने पर कि वह विवादों को किस तरह से हैंडल करती हैं, वह कहती हैं, “जीवन में विवाद होना भी जरूरी है। मैं मानती हूं कि सफलता विवाद लेकर आती है, क्योंकि तब लोग आपके बारे में जानने और जानकारी इकट्ठा करने में जुट जाते हैं। लेकिन इस तरह के विवादों को अधिक तूल नहीं देना चाहिए, क्योंकि झूठ अधिक देर तक टिक नहीं सकता और सच्चाई छिप नहीं सकती।”

उदयपुर में आयोजित त्रिदिवसीय विश्व संगीत महोत्सव का समापन रविवार की रात रंगारंग कार्यक्रम के साथ हुआ। ऐसे कार्यक्रमों की उपयोगित पर जयश्री कहती हैं कि विश्व संगीत महोत्सव जैसा कार्यक्रम छोटे शहरों और गांवों में भी होना चाहिए, ताकि देश के पिछड़े क्षेत्रों के लोगों, खासकर युवाओं को विभिन्न तरह के संगीत सुनने और उससे कुछ सीखने का मौका मिल सके।

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