नई दिल्ली, 17 सितम्बर (आईएएनएस)। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा गठित एक समिति ने शनिवार को आम आदमी पार्टी (आप) की दिल्ली सरकार को पार्टी के विज्ञापनों पर खर्च की गई पूरी रकम की ‘सरकारी खजाने में प्रतिपूर्ति’ करने की सिफारिश की है।
सरकारी विज्ञापनों में विषय-वस्तु के नियमन से जुड़े मुद्दों को सुलझाने को लेकर गठित समिति ने राष्ट्रीय राजधानी में आप सरकार को सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के उल्लंघन का दोषी पाया है।
समिति ने दिल्ली के बाहर दिए गए आप के विज्ञापनों को लेकर भी आलोचना की है।
एक अधिकारी ने कहा कि समिति ने कहा है कि अगर कुछ मुख्यमंत्री यह सोचते हैं कि वे ‘विशिष्ट’ हैं और उनकी नीतियां पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण हैं तो ऐसी राजनीतिक पार्टियों को ऐसे प्रचार का खर्च खुद उठाना चाहिए न कि संबंधित सरकार को।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त बी.बी. टंडन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति में ओगिल्वी एंड मैथर इंडिया के पीयूष पांडे और इंडिया टीवी के पत्रकार रजत शर्मा शामिल हैं।
समिति ने अपनी इस सिफारिश में कांग्रेस नेता अजय माकन द्वारा दर्ज शिकायत पर संज्ञान लिया है।
समिति ने विज्ञापनों में दिल्ली से बाहर विज्ञापन देने, झूठे और भ्रामक और खुद की आत्मस्तुति जैसे कई मामलों में नियमों का उल्लंघन पाया है। आप ने इन विज्ञापनों में राजनीतिक विरोधियों और मीडिया पर भी निशाना साधा था।
समिति ने कहा है कि आप सरकार को अन्य राज्यों की घटनाओं को लेकर विज्ञापन जारी नहीं करना चाहिए था।
सर्वोच्च न्यायालय के 13 मई, 2015 के आदेश के अनुसार राज्य सरकार के विज्ञापन उसकी सीमाओं से बाहर नहीं होने चाहिए, बल्कि राज्य में निवेश, व्यापार और प्रतिभा आकर्षित करने वाले होने चाहिए।
समिति ने हालांकि पूर्व कांग्रेस मंत्री की सत्तारूढ़ पार्टियों की अपनी वर्षगांठ मनाने से संबंधित विज्ञापनों को लेकर एक अन्य शिकायत को रद्द कर दिया, क्योंकि दिशानिर्देशों के अनुसार उन्हें इसकी इजाजत है।
समिति ने आप सरकार को आप का उल्लेख करते एडवटरेरियल्स (संपादकीय सामग्री के रूप में विज्ञापन) पर किए गए सभी खर्चो का आकलन करने का भी निर्देश दिया है। इनमें वे एडवटरेरियल्स भी शामिल हैं, जिनमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विपक्ष पर निशाना साधने का प्रयास किया है।