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बिना NET और PHD के भी बन सकते हैं प्रोफेसर, जानिए यूजीसी की नई गाइडलाइन

October 2, 2022 9:22 am by: Category: भारत Comments Off on बिना NET और PHD के भी बन सकते हैं प्रोफेसर, जानिए यूजीसी की नई गाइडलाइन A+ / A-

UGC New Guidelines: अब प्रोफेसर बनने के लिए केवल नेट और पीएचडी की जरूरत नहीं होगी. यूजीसी ने हाल ही में नई गाइडलाइन जारी की है, जिसके तहत एक्सपर्ट भी प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किए जा सकते हैं. प्रोफेसर्स ऑफ प्रैक्टिस (पीओपी) इन यूनिवर्सिटीज एंड कॉलेजेस कैटेगरी के तहत फैकल्टी मेंबर्स (POP) के रूप में चुना जा सकता है. यूजीसी द्वारा शुक्रवार को जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, इंजीनियरिंग, साइंस, मीडिया, साहित्य, उद्यमिता, सामाजिक विज्ञान, ललित कला, सिविल सेवा और सशस्त्र बलों जैसे क्षेत्रों के लिए कैटगरी वाइज एक्सपर्ट भी नियुक्त होने के पात्र होंगे. यानी अगर इन क्षेत्रों का अच्छा ज्ञान रखते हैं तो आप उच्च संस्थानों में फैकल्टी बन सकते हैं.

दिशानिर्देशों अनुसार, जिन व्यक्तियों की अपने विशिष्ट पेशे या भूमिका में कम से कम 15 साल की सेवा या अनुभव के साथ विशेषज्ञता है वे प्रोफेसर्स आफ प्रैक्टिस के लिए पात्र होंगे. इस पद के लिए एक औपचारिक शैक्षणिक योग्यता आवश्यक नहीं है अगर उनके पास किसी विषय का ज्ञान और अनुभव है तो.दिशानिर्देशों में कहा गया है कि किसी संस्थान में सेवा की अधिकतम अवधि तीन साल से अधिक नहीं होनी चाहिए. हालांकि इसे हालातों को देखते हुए एक साल तक बढ़ाया जा सकता है.

पीओपी दुनिया भर में बहुत ही कॉमन है. पीओपी, खास तौर से नॉन टेन्योर फैकल्टी मेंमबर. ये मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी), हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, एसओएएस यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन, कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी आफ हेलसिंकी जैसे कई विश्वविद्यालयों में काफी प्रचलित है. भारत में भी, पीओएस को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली, मद्रास और गुवाहाटी जैसे संस्थानों में नियुक्त किया जाता है.

दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी भी समय उच्च शिक्षण संस्थान (एचईआई) में पीओपी की संख्या स्वीकृत पदों के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए. उन्हें तीन कैटगरी में नियुक्त किया जाना चाहिए. पहला-उद्योगों द्वारा वित्त पोषित दूसरा-एचईआई द्वारा अपने संसाधनों द्वारा वित्त पोषित और मानद आधार पर.

यूजीसी ने ये भी कहा है कि पीओपी के तहत होने वाली नियुक्तियों की वजह से नियमित फैकल्टी की भर्तियों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा. ये पीओपी उनके लिए नहीं जो शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सेवा दे चुके हैं या रिटायर हो चुके हैं.

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