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 नासा के जासूस दूरबीन काली ऊर्जा का पता लगाएंगे | dharmpath.com

Monday , 9 June 2025

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नासा के जासूस दूरबीन काली ऊर्जा का पता लगाएंगे

वाशिंगटन, 27 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अंतरिक्ष में स्थित एक रहस्यमयी काली ऊर्जा के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए दो पुराने जासूस दूरबीनों की मदद लेने की योजना बना रहा है।

नासा को ये दूरबीन नेशनल रिकानेसांस ऑफिस (एनआरओ) की खुफिया एजेंसी से प्राप्त हुई है।

इन दूरबीनों का का काम वास्तव में अमेरिकी खुफिया एजेंसी के लिए जासूस उपग्रह की नई पीढ़ी के मद्देनजर ‘भविष्य काल्पिनक वास्तुकला’ कार्यक्रम तैयार करना था।

नासा को दिए गए जासूस दूरबीन का उपयोग ‘डब्ल्यूफर्स्ट-आफ्टा’ (द वाइल्ड फील्ड इंफेरेड सर्वे टेलेस्कोप-एस्ट्रोफिजिक्स फोकस्ड टेलेस्कोप एसेट्स) परियोजना के लिए किया जाएगा।

वेबसाइट ‘स्पेस डॉट कॉम’ के मुताबिक, परियोजना को 2024 में लांच किया जाएगा।

डब्ल्यूफर्स्ट-आफ्टा परियोजना का उद्देश्य उस रहस्यमयी गूढ़ ऊर्जा के बारे में अध्ययन करना है, जिसके बारे में माना जाता है कि वह ब्रह्मांड के विस्तार में तेजी ला रही है। इसके अलावा उन ग्रहों की खोज करना जो सूर्य के अलावा दूसरे तारों की परिक्रमा करते हैं।

ये दो दूरबीन नासा के हबल अंतरिक्ष दूरबीन के समान है।

नासा के खगोल भौतिकी प्रमुख पॉल हट्र्ज ने कहा, “हम इन दूरबीनों का उपयोग करेंगे, क्योंकि इनमें किसी तरह के सुधार की आवश्यकता नहीं है। लेकिन इनकी थोड़ी मरम्मत करनी होगी, क्योंकि इन्हें काफी समय से उपयोग में नहीं लाया गया है।”

यदि अनुमति मिल जाती है, तो एक दूसबीन का उपयोग अंतरिक्ष के पर्यवेक्षण के लिए और दूसरे का उपयोग कुछ समय तक सतह पर इंजीनियर परीक्षक के रूप में किया जाएगा। उसके बाद उसे दूसरे कामों में लगाया जा सकता है।

नासा के वैज्ञानिक इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि क्या इन दूरबीनों को पृथ्वी के पास स्थापित करना चाहिए, ताकि वे शोधकर्ताओंे को जल्द से जल्द सूचना और आंकड़े प्रेषित कर सकें या इन्हें सतह से दूर स्थापित किया जाए, ताकि वे पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण बाधा से दूर बड़े पैमाने पर खोजबीन का काम कर सकें।

नासा की टीम इन दूरबीनों को या तो सतह से कुछ हजार मील की दूरी पर कक्षा पर या पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर स्थिर गुरुत्वाकर्षण बिंदु पर स्थापित कर सकता है।

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