Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the js_composer domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
 ऋषभ अवतार द्वारा भगवान नरसिंह का मान मर्दन | dharmpath.com

Tuesday , 17 June 2025

Home » फीचर » ऋषभ अवतार द्वारा भगवान नरसिंह का मान मर्दन

ऋषभ अवतार द्वारा भगवान नरसिंह का मान मर्दन

Narasinga Bhagawan भगवान विष्णु के वराह अवतार द्वारा अपने भाई हिरण्याक्ष के वध के पश्चात उसके छोटे भाई हिरण्यकश्यप के अत्याचार हद से अधिक बढ़ गए. सारी सृष्टि त्राहि त्राहि करने लगी. जहाँ एक ओर हिरण्यकश्यप पूरे संसार से धर्म का नाश करने पर तुला हुआ था वहीँ उसका अपना पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु की भक्ति में लीन था. हिरण्यकश्यप जब किसी भी तरह प्रह्लाद को नहीं समझा सका तो उसने उसे कई बार मारने का प्रयत्त्न किया किन्तु प्रह्लाद हर बार भगवान विष्णु की कृपा से बच गया. यहाँ तक कि इस प्रयास में उसकी बहन होलिका भी मृत्यु को प्राप्त हो गयी. अंत में जब वो स्वयं प्रह्लाद को मारने को तत्पर हुआ तो अपने भक्त की रक्षा के लिए भगवान विष्णु स्वयं नरसिंह अवतार में प्रकट हुए.

भगवान नरसिंह में वो सभी लक्षण थे जो हिरण्यकश्यप के मृत्यु के वरदान को संतुष्ट करते थे. भगवान नरसिंह के द्वारा हिरण्यकश्यप का नाश हुआ किन्तु एक और समस्या खड़ी हो गयी. भगवान नरसिंह इतने क्रोध में थे कि लगता था जैसे वो प्रत्येक प्राणी का संहार कर देंगे. यहाँ तक कि स्वयं प्रह्लाद भी उनके क्रोध को शांत करने में विफल रहा. सभी देवता भयभीत हो भगवान ब्रम्हा की शरण में गए. परमपिता ब्रम्हा उन्हें लेकर भगवान विष्णु के पास गए और उनसे प्रार्थना की कि वे अपने अवतार के क्रोध शांत कर लें किन्तु भगवान विष्णु ने ऐसा करने में अपनी असमर्थता जतलाई. भगवान विष्णु ने सबको भगवान शंकर के पास चलने की सलाह दी. उन्होंने कहा चूँकि भगवान शंकर उनके आराध्य हैं इसलिए केवल वही नरसिंह के क्रोध को शांत कर सकते हैं. और कोई उपाय न देख कर सभी भगवान शंकर के पास पहुंचे.

देवताओं के साथ स्वयं परमपिता ब्रम्हा और भगवान विष्णु के आग्रह पर भगवान शिव नरसिंह का क्रोध शांत करने उनके समक्ष पहुंचे किन्तु उस समय तक भगवान नरसिंह का क्रोध सारी सीमाओं को पार कर गया था. साक्षात भगवान शंकर को सामने देख कर भी उनका क्रोध शांत नहीं हुआ बल्कि वे स्वयं भगवान शंकर पर आक्रमण करने दौड़े. उसी समय भगवान शंकर ने एक विकराल ऋषभ का रूप धारण किया और भगवान नरसिंह को अपनी पूंछ में लपेट कर खींच कर पाताल में ले गए. काफी देर तक भगवान शंकर ने भगवान नरसिंह को वैसे हीं अपने पूंछ में जकड कर रखा. अपनी सारी शक्तियों और प्रयासों के बाद भी भगवान नरसिंह उनकी पकड़ से छूटने में सफल नहीं हो पाए. अंत में शक्तिहीन होकर उन्होंने ऋषभ रूप में भगवान शंकर को पहचाना और तब उनका क्रोध शांत हुआ. इसे देख कर भगवान ब्रम्हा और भगवान विष्णु के आग्रह पर ऋषभ रुपी भगवान शंकर ने उन्हें मुक्त कर दिया. इस प्रकार देवताओं और प्रह्लाद के साथ साथ सभी सत्पात्रों को दो महान अवतारों के दर्शन हुए.

ऋषभ अवतार द्वारा भगवान नरसिंह का मान मर्दन Reviewed by on . भगवान विष्णु के वराह अवतार द्वारा अपने भाई हिरण्याक्ष के वध के पश्चात उसके छोटे भाई हिरण्यकश्यप के अत्याचार हद से अधिक बढ़ गए. सारी सृष्टि त्राहि त्राहि करने लग भगवान विष्णु के वराह अवतार द्वारा अपने भाई हिरण्याक्ष के वध के पश्चात उसके छोटे भाई हिरण्यकश्यप के अत्याचार हद से अधिक बढ़ गए. सारी सृष्टि त्राहि त्राहि करने लग Rating:
scroll to top