(भोपाल)– मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के रुसल्ली गाँव में हुई घटना,महाशिवरात्रि के दिन पूजा करने गयी औरतों को पूजा करने से रोक दिया गया।महाशिवरात्रि के दिन यह घटना हुई ,क्या ऐसा होना ठीक है ,वे जिनका न जन्म हुआ न मृत्यु होगी जो अविनाशी हैं ,भेदभाव से परे हैं उनकी पूजा में भेदभाव,जिन्होंने ये गलत हरकत की क्या वे उनके बारे में जानते हैं,उन औरतों को यह कह कर रोक दिया गया की वे दलित हैं अरे भाई जहाँ मानव ही मात्र है वहां क्या दलित यह परिभाषा बनायी किसने हमारे संतों ने मानव सेवा ही उस परमात्मा की सेवा बताई है तो यह सब क्या है,शासन -प्रशासन क़ानून के तहत प्रक्रिया का अपना पल्ला झाड लेता है,क्या विदिशा की धरती जो अभेद का प्रचार करने वाले संत महापुरुषों की कर्मस्थली रहा है उन्होंने समाज में यही सन्देश दिया है,नहीं तब यह कैसे हुआ हमारे धर्मस्व मंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं आज भी कई संतों का डेरा उस जगह है,रायसेन के पीर की कर्मस्थली भी है लोग चाहे किसी भी व्यवस्था के अंतर्गत सामाजिक जीवन जीते हों वहां माथा नवाने जाते हैं फिर क्या आज वह धरती समाज की कुरीति रूपक बीमारी से समाज को बचाने हेतु खाली हो गयी है,हम हिंदुस्थानी सनातन व्यवस्था को मानते हैं ,मनु को मानते हैं उन्होंने तो कर्म आधारित सामाजिक व्यवस्था दी थी तब यह कैसे भेद-भाव का तो स्थान ही नहीं था,यह कीड़ा भेदभाव का कहाँ से आ गया इस भ्रान्ति को दूर करना समाज के अगुआ लोगों की जिम्मेदारी है ,आज के राजा प्रशासन की जिम्मेदारी है,संतों की जिम्मेदारी है,इस घटना के बाद कोई व्यक्ति या संगठन वहां गया समझाने नहीं गया यह इंगित करता है की सच्चाई का सामना कोई करना ही नहीं चाहता किसी को इस देश की माटी की चिंता ही नहीं है।अरे किस बात के दलित जिस अपनी गन्दगी को हम स्वयं ही साफ़ नहीं कर पाते घृणा होती है वह दूसरा इंसान करता है बताइये दलित वह हुआ या हम इस लेख के माध्यम से हम समाज में पसरे उस घृणित बीमारी को दूर करना चाहते हैं ताकि मनुष्य,समाज,राष्ट्र तरक्की कर सके और सभी खुशहाली से अपना जीवन बिता सकें।भारत की धरती पर अवतरित हुए संत अवधूत भगवान् राम जी का सन्देश है की हिन्दू ,मुस्लिम ,ईसाई बनने को सभी तैयार हैं कौन है वह जो मनुष्य बनने को तैयार है।हमारे राजनेताओं को भी इस दिशा में कदम बढ़ाना होगा,विदिशा क्षेत्र से सुषमा स्वराज,मुख्यमंत्री शिवराज जी,लक्ष्मीनारायण शर्मा जी आते हैं क्या कोई वहां गया अभी तक तो नहीं अरे होश में आओ मानव धर्म पहले है इस धरती का कर्ज है हम पर उसकी लाज बचाओ यदि माता कहते हो तो माता के आँचल को तार-तार न होने दो नहीं तो समय तुम्हे भी माफ़ नहीं करेगा।
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