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आरएसएस: ब्राह्मणों जितने पवित्र हैं दलित, हिंदू हैं तो ही भारत हैः

August 27, 2019 10:12 pm by: Category: ख़बरें अख़बारों-वेब से Comments Off on आरएसएस: ब्राह्मणों जितने पवित्र हैं दलित, हिंदू हैं तो ही भारत हैः A+ / A-

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ  के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा है कि अनुसूचित वर्ग का व्यक्ति उतना ही पवित्र है, जितना कि ब्राह्मण कुल में जन्म लेने वाला. उन्होंने अनुसूचित समाज के साथ अन्याय को ईश्वर और भारत के आध्यात्मिक दर्शन के साथ अन्याय बताया है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा है कि अनुसूचित वर्ग में पैदा हुआ व्यक्ति उतना ही पवित्र है जितना ब्राह्मण कुल में जन्म लेने वाला. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के लोगों पर अत्याचार ईश्वर के साथ अत्याचार है, इस देश की मौलिक आध्यात्मिक दर्शन के साथ अन्याय है. नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में सोमवार की सायं आयोजित एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में संघ के वरिष्ठ नेता ने कहा कि जिस वक्त इस समाज को अन्याय सहना पड़ा, वह देश का दक्षिणायन रहा. संघ नेता के दक्षिणायन कहने का यहां आशय देश के बुरे दौर से रहा.

डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि पाकिस्तान में आज भी वे पांच नदियां(पंचनदियां) बहतीं हैं, जहां पर वेदों की रचना हुई थी. मगर वहां से भारत नष्ट हो गया, क्योंकि वहां हिंदू नहीं हैं. हिंदू हैं तो ही राष्ट्र हैं और हिंदुओं के रहने से ही भारत है. जहां हिंदू हैं, वही भारत है.  डॉ. सूर्यकांत बाली लिखित ‘भारत का दलित विमर्श’ और ‘भारत की राजनीति का उत्तरायण’ नामक पुस्तकों का इस दौरान डॉ. कृष्ण गोपाल और केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) मंत्री प्रह्लाद पटेल ने विमोचन किया.

अनुसूचित वर्ग के साथ उत्पीड़न की घटनाओं के बारे में डॉ. कृष्णगोपाल ने कहा कि एक वक्त ऐसा भी था, जब देश में कुछ जगहों पर  तालाब का पानी जानवर तो पी सकते थे मगर अनुसूचित समाज को इसकी आजादी नहीं थी. तब डॉ. अंबेडकर पांच हजार लोगों के साथ महाड स्थान(महाराष्ट्र) पर तालाब का पानी पीने के लिए सत्याग्रह करने निकल पड़े. तब दलित समाज के लोगों को सार्वजनिक स्थलों पर पानी पीने का अधिकार दिलाने के लिए डॉ. अंबेडकर यह सत्याग्रह करने पहुंचे थे.

लंबी दूरी तय कर अंबेडकर के साथ पहुचे लोगों ने जब भोजन बनाया तो स्थानीय लोगों ने उनके भोजन में मिट्टी डाल दिया. इस पर अंबेडकर के साथियों को बहुत क्रोध आया. तब अंबेडकर ने समझाते हुए कहा था कि बैर से बैर खत्म नहीं होता. बाद में सत्याग्रह कर भूखे-प्यासे अंबेडकर लौट आए थे. कृष्ण गोपाल ने कहा कि बहुत समय तक अनुसूचित जाति के लोगों ने कष्ट पाया है. उनमें इसका गुस्सा भी है, जो जायज है. मगर इस भेदभाव को दूर करने के प्रयास भी होते रहे हैं. अतीत में ज्योतिबा फुले, दयानंद से लेकर तमाम महापुरुष इसके लिए आगे आते रहे हैं.

आजतक से साभार

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