Thursday , 2 May 2024

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मेडिकेटेड गंगा: सावन में महादेव के जलाभिषेक का महत्व

kanwrgangaवाराणसी। इन दिनों बरसात और बाढ़ के कारण गंगा के मटमैले पानी को देखकर यही लगेगा की पानी प्रदूषित है। लेकिन हकीकत यह नहीं है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अनुसार इस वक्त गंगाजल को प्राकृतिक रूप से उपचारित मानना चाहिए। यह उपचार होता है पानी के खरबों खरब वनस्पतियों, घास, फूस, जड़ी, बूटियों के सम्पर्क में आने से।

गंगा बेसिन से आता तमाम नदियों का अरबों गैलन यह पानी रंग में चाहे जैसा हो, स्वास्थ्य के लिए वही गुण समेटे होता है जिसके लिए गंगाजल जाना जाता है।

बीते दिनों उत्तराखंड में मंदाकनी के नए मार्ग पर शोध कर चुके हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग के प्रो. भानू नैथानी पहले ही बता चुके हैं कि नदी में जब पानी की मात्रा दोगुनी हो जाती है तो उसके द्वारा मलबा या प्रदूषक तत्व ढोने की क्षमता 64 गुना बढ़ जाती है।

सावन में बढ़ जाता है महात्म्य-

बीएचयू से जुड़े रहे नदी वैज्ञानिक प्रो. यूके चौधरी स्पष्ट करते हैं कि शुरुआती बाढ़ में नदी के प्रदूषक तत्व बहकर सागर में चले जाते हैं। इसके बाद पानी की गुणवत्ता अपने आप बढ़ने लगती है। हिमालयन क्षेत्र से आने वाले औषधीय गुणों वाले पानी के प्रवाह से गंगा में नई ऊर्जा का संचार होता है। यही वजह है कि सावन मास में गंगाजल का पौराणिक महत्व भी अधिक बढ़ जाता है। नदी की पवित्रता इतनी बढ़ जाती है कि देवाधिदेव महादेव का जलाभिषेक भी कांवरियों द्वारा इसी माह में गंगा जल से किए जाने की सदियों से परंपरा बनी हुई है।

औषधीय गुण का प्रवाह-

बीएचयू स्थित पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र के संस्थापक समन्वयक प्रो. बीडी त्रिपाठी गंगा का कहना है कि इन दिनों हजारों वनस्पतियां सुसुप्तावस्था त्याग जीवंत हो उठती हैं। ऐसे में बारिश का पानी उनके पत्तों से लगायत जड़ों से छनते हुए मिट्टी का रास्ता पकड़ नदी की ओर बढ़ता है। पहाड़ी नदियों में बाढ़ आने से कटान होती है। इस कटान में औषधीय वनस्पतियों से रचे-बसे मिट्टी-पत्थरों का क्षरण होकर उसके तमाम खनिज पानी संग प्रवाहित होने लगते हैं। यह सब गंगा की धारा में आ मिलते हैं।

राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. बीडी त्रिपाठी का कहना है कि गंगा में कौन-कौन से औषधीय गुण उत्पन्न होते हैं और उनसे क्या-क्या फायदे हैं इसका गहन अध्ययन किया जाना जरूरी है। इस संबंध में विस्तार पूर्वक अध्ययन का प्रस्ताव प्राधिकरण की अगली बैठक में भारत सरकार के समक्ष रखा जाएगा।

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