Friday , 17 May 2024

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छत्तीसगढ़ : भाजपा गिरते जनाधार को लेकर सतर्क

रायपुर, 12 अप्रैल (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ में केवल 0.76 फीसदी मत अधिक पाकर तीसरी बार महीन मार्जिन से सत्ता में लौटी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने गिरते जनाधार को लेकर अभी से सतर्क है।

रायपुर, 12 अप्रैल (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ में केवल 0.76 फीसदी मत अधिक पाकर तीसरी बार महीन मार्जिन से सत्ता में लौटी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने गिरते जनाधार को लेकर अभी से सतर्क है।

विधानसभा चुनाव को तो अभी ढाई साल और लोकसभा चुनाव में तीन साल से भी अधिक का समय बचा है, लेकिन भाजपा संगठन ने अभी से अपने सांसदों-विधायकों का रिपोर्ट कार्ड बनाना शुरू कर दिया है।

सूबे से बाहर की सर्वे एजेंसी की मदद से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के लोग हर विधानसभा क्षेत्र में घूमघूम कर पता लगा रहे हैं कि विधायक और सांसद किस तरह काम कर रहे हैं। आम जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलने वाला यही फीडबैक सांसदों और विधायकों का राजनितिक भविष्य तय करेगा।

राज्य के बड़े नेताओं की मानें तो यह एक सतत प्रक्रिया है, लेकिन खास भी, क्योंकि आने वाले चुनावों में टिकट मिलने या कटने के फैसले में इस सर्वे की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।

बताया जा रहा है कि सर्वे की बड़ी जिम्मेदारी आरएसएस से जुड़े जिम्मेदार लोगों को दी गई है। इसके अलावा दिल्ली और अहमदाबाद की सर्वे कंपनियों को हायर किया गया है। पहले दौर में सिटिंग एमएलए व एमपी का कामकाज परखा जा रहा है। संभावित उम्मीदवारों पर भी सर्वे कराया जाएगा, बल्कि ये कहा जाए कि कराया जा रहा है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस मसले को लेकर पहले पार्टी व कार्यकर्ताओं के बीच ही रायशुमारी हो रही है। फिर जनता की राय भी ली जाएगी। खराब परफार्मेस वालों को सुधरने का मौका दिया जाएगा।

चुनाव के पहले तक यदि उनके पक्ष में कोई सकारात्मक रिपोर्ट नहीं मिली तो टिकट काट दिया जाएगा। नए उम्मीदवार को मौका मिलेगा। दोनों सर्वे के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की रुचि भी बताई जा रही है।

राजनीतिक दलों खासकर भाजपा में चुनाव पूर्व सर्वेक्षण की बात नई नहीं है, लेकिन चुनाव को अभी लगभग ढाई साल बचे हैं। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि चुनाव को लेकर भाजपा की प्लानिंग कैसी है। और छत्तीसगढ़ में जहां लगातार तीन कार्यकाल तक रमन सिंह रिपीट हो रहे हैं, वहां ‘एंटी इन्कम्बेंसी’ को लेकर पार्टी आलाकमान की चिंता स्वाभाविक है।

यूं तो भाजपा के पदाधिकारी इस बारे में खुलकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं, मगर छत्तीसगढ़ भाजपा के नए महामंत्री (संगठन) पवन साय का कहना है, “सर्वे एक सतत प्रक्रिया है। हमारे पास कार्यकर्ताओं की लंबी श्रृंखला है। उनसे रायशुमारी करते रहते हैं।”

राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री सौदान सिंह ने भी हाल ही में इसी सफ्ताह कार्यसमिति की बैठक में विधायकों को कामकाज सुधारने की नसीहत देते हुए आत्मावलोकन करने तथा जनता से अपने संबंधों की पड़ताल करने को कहा है। उनका कहना था कि विधायक कार्यकर्ताओं के बीच अपनी छवि भी पता कर लें, क्योंकि अब काम करने को केवल एक साल बचा है।

वहीं इसी बैठक में मुख्यमंत्री ने चुनाव में गड़बड़ी करने या भितरघात करने वालों को चेतावनी भी दी थी। इन सबसे ये भी संकेत मिलते हैं कि भाजपा में अंदरूनी तौर पर जनप्रतिनिधियों के कामकाज की समीक्षा चल रही है।

सूबे के मुखिया रमन सिंह खुद 25 अप्रैल से प्रदेशव्यापी सुराज अभियान में जाएंगे तो वे भी अपने तरीके से फीडबैक लेंगे। पड़ोस के पांच राज्यों के संगठन प्रभारी सौदान सिंह भी रायपुर में रहकर सतत नजर रखेंगे।

सूत्रों का कहना है कि इस सर्वे रिपोर्ट के बाद संगठन इस पर विधायकों और पदाधिकारियों की संयुक्त बैठक करेगा। इसमें रिपोर्ट का खुलासा कर विधायकों को उनकी भविष्य की संभावनाओं का आईना दिखाया जाएगा।

प्रदेशाध्यक्ष धरम लाल कौशिक जुलाई-अगस्त में होने वाली चिंतन बैठक की रूपरेखा बना रहे हैं। विधानसभा चुनाव 2018 में और लोकसभा चुनाव 2019 में होने हैं। चुनाव के पहले फाइनल सर्वे के बाद पार्टी तीन-तीन नामों का पैनल बनाएगी। इनमें से ही विधानसभा व लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी तय होगा। वर्तमान व संभावित उम्मीदवारों की ‘जन्मकुंडली’ तैयार की जा रही है।

छत्तीसगढ़ में भले ही लगातार तीन बार से भाजपा की सरकार बन रही है, लेकिन तीन चुनावों में लगातार पार्टी का ग्राफ गिर रहा है। वर्ष 2003 में पार्टी ने पौने तीन फीसदी अधिक मतों से सरकार बनाई। वर्ष 2008 में पौने दो फीसदी और 2013 में केवल 0.76 फीसदी मत अधिक पाकर महीन मार्जिन से सत्ता में लौटी। इस वजह से पार्टी आलाकमान फूंक-फूंककर कदम रख रहा है।

छत्तीसगढ़ में विधानसभा में विधायकों की संख्या : भाजपा 49, कांग्रेस 38, स्वतंत्र 1, निर्दलीय 1, बसपा 1।

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