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पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन : भारत ने बताई बहुपक्षीय सहयोग की जरूरत (राउंडअप)

सिंगापुर, 15 नवंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को खुला व समावेशी बनाने के भारत के विजन को दोहराते गुरुवार को यहां 13वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान बहुपक्षीय सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता बताई।

सिंगापुर, 15 नवंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को खुला व समावेशी बनाने के भारत के विजन को दोहराते गुरुवार को यहां 13वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान बहुपक्षीय सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता बताई।

मोदी ने शिखर सम्मेलन के बाद ट्वीट के जरिए कहा, “सिंगापुर में पूर्वी एशिया शिखर-सम्मेलन में मैंने सदस्य देशों के बीच बहुपक्षीय सहयोग, आर्थिक व सांस्कृतिक संबंध बढ़ाने का अपना विचार साझा किया।”

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार के अनुसार, मोदी ने शांत, खुला व समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के भारत के विजन को दोहराया और समुद्री क्षेत्र में सहयोग मजबूत करने व संतुलित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) की प्रतिबद्धता पर बल दिया।

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रमुख नेताओं का एक मंच है। इसमें दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्र संगठन (आसियान) के 10 सदस्य देश-ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपींस और वियतनाम और इसके आठ संवाद साझेदार-भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और रूस शामिल हैं।

वर्ष 2005 में अस्तित्व में आने के बाद से ही इसने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में राजनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक विकास की समीक्षा में अहम भूमिका निभाई है।

भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए आसियान की भूमिका की केंद्रीयता पर जोर देता रहा है।

आरसीईपी आसियान के सदस्य देशों और छह अन्य देशों के बीच एक प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता है। इन छह देशों में आस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड हैं जिनके साथ इस क्षेत्रीय संगठन का मुक्त व्यापार करार पहले से ही है।

इससे पहले, मोदी ने ईस्ट-एशियन ब्रेकफास्ट समिट के दौरान समुद्री क्षेत्र में भारत के सहयोग की पुष्टि की।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बैठक के बाद ट्वीट के जरिए कहा, “समुद्रीय क्षेत्र में सहयोग और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की समृद्धि की दिशा में व्यापार और निवेश के महत्व की पुष्टि की गई।”

नई दिल्ली की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत भारत आसियान क्षेत्रीय संगठन के साथ अपनी भागीदारी बढ़ रहा है।

भारत ने 25 साल की वार्ता साझेदारी, 15 साल की सम्मेलन स्तरीय वार्ता और पांच साल की रणनीतिक साझेदारी के उपलक्ष्य में जनवरी 2018 में आसियान-भारत स्मृति शिखर सम्मेलन का आयोजन किया था।

अभूतपूर्व भाव प्रदर्शन करते हुए आसियान के 10 नेताओं ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया और भारत के गणतंत्र दिवस समारोह पर बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।

स्ट्रैट्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सिएन लूंग ने अगले साल तक आरसीईपी को अस्तित्व में लाकर दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने के लिए भारत से आसियान में शामिल होने का आग्रह किया।

आसियान-भारत शिखर सम्मेलन के दौरान ली ने कहा, “मैं प्रसन्न हूं कि हमने इस साल आरसीईपी वार्ता को आगे बढ़ाने की दिशा में काफी प्रगति की।”

उन्होंने कहा, “अब हम अंतिम रेखा के करीब हैं, हालांकि अंजाम तक पहुंचने के लिए आगे काम बचा हुआ है।”

ली ने कहा कि 2019 तक आरसीईपी वार्ता को अंजाम तक पहुंचाने के लिए पूरा प्रसास किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, “आसियान-भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र से हम उम्मीद करते हैं कि भारत और आसियान के बीच 2022 तक 200 अरब डॉलर का व्यापार का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।”

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