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भरे पेट के चोंचले हैं शाकाहारी मांसाहारी की बहस

November 7, 2015 10:26 am by: Category: ब्लॉग से Comments Off on भरे पेट के चोंचले हैं शाकाहारी मांसाहारी की बहस A+ / A-

हम आपको उदयन स्कूल द्वारा किये जा रहे सामजिक-आर्थिक विकास कार्यक्रमों से परिचित करवा रहे हैं.यह समाज की सच्चाई है और इस माध्यम से आपके समक्ष प्रस्तुत है.

social-media-facebook-post-by-ajit-singh-on-poultry-farming-for-food-for-musahar-life-style-online-news-in-hindi-indiaउदयन में कुछ नए projects शुरू करने हैं.

खरगोश पालन के लिए उत्तम breed कहाँ मिलेगी.
मशरुम उत्पादन के लिए उत्तम quality का बीज चाहिए.
Bangalore स्थित poultry research इंस्टिट्यूट से Khaki Campbell प्रजाति की बतख के अंडे चाहिए जिन्हें यहां लोकल hatchery में hatch कराया जा सके.

कुछ मित्रों ने पूछा है कि उदयन में बतख खरगोश क्या करेंगे.
गहराई से देखा जाए तो उदयन एक Community development project है.
जो गरीब बच्चे हमसे जुड़े है उनके पूरे परिवार के उन्नयन का प्रयास है.
पूर्वांचल में धान की कटाई शुरू है . मुसहर समुदाय कृषि कार्य में व्यस्त है.
मुसहर का 10 साल का बच्चा एक adult के बराबर काम करता है.

उदयन में 8 साल की बेटियां चूल्हे पे पूरे परिवार का पूरा खाना बना के खेत पे ले जाती हैं . समाज के सामान्य वर्ग में जहां माँ बाप बच्चे को रोज़ाना स्कूल भेजने के लिए परेशान रहते हैं प्रयास करते हैं वहीं मुसहर माँ बाप पहरा देते हैं कि सयानी लड़की / लड़का कहीं स्कूल न चला जाए . क्योंकि वो लड़का नहीं एक working hand है.

मुसहर बस्ती आज भी पेट भर भोजन के लिए संघर्ष करती है.
आज भी चूहे केकड़े घोंघा ( shell fish ) और कछुए खोजते फिरते हैं.
मुसहर बस्ती के लोग आज भी आधे समय सूखा भात नमक से खाते हैं.

इन परिस्थितियों में यदि मुसहर बस्ती का कोई परिवार गाँव के तालाब में khaki Campbell प्रजाति की 10 बतख पाल ले तो साल भर के भोजन का जुगाड़ हो जाता है . एक बतख साल में 220 अंडे देती है.

इसी प्रकार खरगोश का एक जोड़ा साल भर में इतने बच्चे देता है और वो इतनी तेज़ी से multiply होते हैं ( exponential ग्रोथ ) कि एक परिवार एक पिंजरे में खरगोश पाल के साल भर कायदे से भोजन का प्रबंध हो जाता है.

इसी प्रकार अपनी hut के एक कोने में उगाई गयी mushrooms सब्जी का काम करती है.
ये नैतिक अनैतिक और शाकाहारी मांसाहारी की बहस भरे पेट के चोचले हैं.
शिवपुरी आज भी पेट की आग बुझाने की जद्दोजहद में लगी है.

खरगोश और बतख पालन का प्रोजेक्ट शिवपुरी के लिए प्रस्तावित है.

अजित सिंह (उदयन स्कूल संस्थापक)

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