Saturday , 4 May 2024

ब्रेकिंग न्यूज़
Home » धर्मंपथ » मलिन बस्तियों के नौनिहालों का भविष्य संवार रही एकल छात्र परिषद

मलिन बस्तियों के नौनिहालों का भविष्य संवार रही एकल छात्र परिषद

लखनऊ, 18 अगस्त (आईएएनएस)। ‘जहां चाह है वहीं राह है’ ..इस कहावत को लखनऊ विश्वविद्यालय की एकल छात्र परिषद सच साबित करने में लगी हुई है। परिषद की टीम आपसी सहयोग से संसाधन जुटाकर मलिन बस्ती के बच्चों के भविष्य को संवारने का प्रयास कर रही है।

लखनऊ, 18 अगस्त (आईएएनएस)। ‘जहां चाह है वहीं राह है’ ..इस कहावत को लखनऊ विश्वविद्यालय की एकल छात्र परिषद सच साबित करने में लगी हुई है। परिषद की टीम आपसी सहयोग से संसाधन जुटाकर मलिन बस्ती के बच्चों के भविष्य को संवारने का प्रयास कर रही है।

टीम का हर सदस्य इन्हीं बच्चों के बीच अपने त्योहार व उनके जन्मदिन मनाता है। टीम के सदस्यों की कोशिश है कि खेल, शिक्षा, सांस्कृतिक गतिविधियों में किसी विधा में हुनरमंद छात्रों को अच्छे मुकाम पर पहुंचाया जाए।

एकल छात्र परिषद का गठन करने वाले दुर्गेश त्रिपाठी लखनऊ विश्वविद्यालय के डिफेंस स्टडीज में टॉप कर चुके हैं। इसके बाद दुर्गेश को मेधावी छात्र परिषद का अध्यक्ष बना दिया गया। दुर्गेश ने खाली समय में विश्वविद्यालय के पार्क और कैंटीन में बैठने वाले बच्चों से बात करके एक समूह का गठन किया। इसका नाम एकल छात्र परिषद दिया है। इस समूह के बच्चे अब मलिन बस्तियों के बच्चों का भविष्य संवारने का प्रयास कर रहे हैं। इस समूह में छात्र-छात्राएं दोनों ही सहयोग करते हैं।

दुर्गेश ने बताया कि अक्टूबर, 2018 में दीपावली से इस मुहिम की शुरुआत हुई थी। इस दौरान टेढ़ी पुलिया, गोमती नगर के जनेश्वर मिश्रा पार्क और विश्वविद्यालय के पीछे मलिन बस्ती के घरों में दीपक जलाकर इसे शुरू किया गया था। इसके बाद से यह सिलसिला लगातार चल रहा है। इस दौरान हमने वहां के बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ उन्हें नैतिक शिक्षा भी दे रहे हैं।

उन्होंने कहा, “हमारे साथ जुड़े छात्र अपने भविष्य के साथ ही मलिन बस्तियों के गरीब नौनिहालों के बेहतर कल के लिए मुहिम में जुटे हैं। ज्यादातर छात्र छात्रावासों में रहते हैं। यह बस्तियों में जाकर गरीब परिवारों को पढ़ाने के अभियान में जुटे हैं।”

त्रिपाठी कहा, “हमने पर्यावरण संरक्षण के लिए नया तरीका निकाला है। इन बच्चों के जिन बुजुर्गो का निधन हो चुका है, उनके नाम पर पौधा लगावाया जाता है। फिर इन्हीं बच्चों से इसकी देखरेख करने को कहा जाता है।”

दुर्गेश ने बताया कि वर्तमान में अभी उनका समूह सात से आठ बस्तियों में जाकर वहां के बच्चों को सप्ताह में एक दिन पढ़ा रहा है। इसे संचालित करने में लगभग दो से ढाई हजार रुपये का खर्च आता है जो वे लोग अपनी पैकेट मनी से बचाकर जुटाते हैं।

उन्होंने बताया, “कभी-कभी कुछ लोग हमारा सहयोग भी कर देते हरं। एक बार प्रो़ किरण डंगवाल की मदद से पेंसिल, रबर से लेकर कॉपी, गुब्बारे और मिठाइयां बांटी गईं।”

दुर्गेश ने कहा, “हमारे समूह की छात्राएं महिलाओं और बच्चियों में जागरूकता पैदा करती हरं। कभी उन्हें पैड बांटती हैं तो कभी महिलाओं और बलिकाओं से संबंधित बीमारियों के बारे में जागरूक करती हैं। हमारे ग्रुप की छात्राएं भी कंधे से कंधा इस कार्य में सहयोग करती हैं। हमारा लक्ष्य ऐसे वंचित बच्चों को ऊंचे मुकाम तक पहुंचाने का है।”

लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र दुर्गेश त्रिपाठी, रजत, विभु, गीतांजलि, सुबोध, श्रेयांश, दिव्यांश और उनकी टीम ने साल 2018 में इसकी शुरुआत की। एकल छात्र परिषद के एक अन्य सदस्य दिव्यांश कहते हैं कि करीब 12 के साथ शुरू हुई इस मुहित में सदस्यों की संख्या 150 तक पहुंच गई है।

एकल छात्र परिषद के सदस्य दिव्यांश ने बताया कि शिक्षा दिनोदिन महंगी होकर गरीब आदमी के पहुंच से दूर होती जा रही है। गरीब मजदूर और मलिन बस्ती में रहने वाले परिवारों के बच्चों के लिए तो शिक्षा हासिल करना एक सपना बन गया है।

उन्होंने कहा कि मलिन बस्तियों में रहना ही अपने आप में काफी पीड़ादायक है। इन बस्तियों के बच्चे आज भी शिक्षा से काफी हद तक वंचित हैं। इन बस्तियों में मौजूद हालात की यदि पड़ताल की जाए तो तस्वीर बहुत खतरनाक है। अगर मलिन बस्तियों के नौनिहालों के देहरी तक शिक्षा का उजियारा पहुंच जाएगा तो इनका आने वाला कल कुछ बेहतर होगा।

दिव्यांश ने बताया कि अप्रैल, 2018 से अब तक नगराम के खवासखेड़ा गांव और चिनहट के बहरौली गांव के बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। जनेश्वर मिश्र के पास झोपड़पट्टी के बच्चों को इस मुहिम से जोड़ा गया है। अगला लक्ष्य रिंग रोड के किनारे बनी झोपड़पट्टियों के बच्चे हैं।

उन्होंने बताया कि कोर सदस्यों की टीम झोपड़पट्टी का दौरा करती है। दूसरी टीम बच्चों को पढ़ाती है। हर शनिवार को एक टीम उन बच्चों से मिलने जाती है।

मलिन बस्तियों के नौनिहालों का भविष्य संवार रही एकल छात्र परिषद Reviewed by on . लखनऊ, 18 अगस्त (आईएएनएस)। 'जहां चाह है वहीं राह है' ..इस कहावत को लखनऊ विश्वविद्यालय की एकल छात्र परिषद सच साबित करने में लगी हुई है। परिषद की टीम आपसी सहयोग से लखनऊ, 18 अगस्त (आईएएनएस)। 'जहां चाह है वहीं राह है' ..इस कहावत को लखनऊ विश्वविद्यालय की एकल छात्र परिषद सच साबित करने में लगी हुई है। परिषद की टीम आपसी सहयोग से Rating:
scroll to top