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लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का हरावल होगा ‘ऑपरेशन शक्ति’ (आईएएनएस विशेष भाग-1)

नई दिल्ली, 21 जनवरी (आईएएनएस)। नया समय नए औजारों की मांग करता है। डिजिटल और सामाजिक यथार्थ ने जिन नई सच्चाइयों को जन्म दिया है, उनसे सामना नहीं करने वाले की स्थिति कमजोर हो जाती है। जीवन के नए नियम सख्त हैं और इनमें शामिल है प्रौद्योगिकी इंटरफेस।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस सच्चाई को उसी वक्त स्वीकार कर लिया, जब उन्होंने पार्टी प्रमुख का पद ग्रहण किया। अमित शाह की संघर्ष की शैली की विशेषता है कि सीधे कार्यकर्ताओं से संवाद करो, मतदाताओं को पहचानो और संपर्क करो।

इससे भी आगे जो खास बात है, वह है मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाना। यह द्विस्तरीय गतिविधि बेहतरीन अंदाज में शाह और उनके कार्यकर्ताओं द्वारा अमल में लाई गई है, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हिंदू हृदय सम्राट की विशाल छवि का पूरी दक्षता और शक्ति के साथ इस्तेमाल किया है।

इस मॉडल की अनुकृति में कांग्रेस मतदाताओं से सीधे जुड़ने के लिए विशाल संक्रेंदित समाज, भारत में गहरे से गहराई की तरफ गई। मतदाताओं और कार्यकर्ताओं पर फोकस करते हुए संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल करने के लिए बूथ कार्यक्रम की शुरुआत पार्टी ने की।

कांग्रेस जानती है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इस फॉरमेट के पुरोधा हैं। वह युद्ध की इस कला को अपने अंदाज में तहस-नहस करने के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने विशाल नेता और उसके विशाल संदेश को नए स्तर तक पहुंचाया है। ऐसे में हाल के विधानसभा चुनाव इस जंग की कड़ी परीक्षा थे, जहां कांग्रेस ने अपने नए माड्यूल और मॉडल का परीक्षण किया और कम से कम तीन हिंदू हार्टलैंड राज्यों में विजयी होकर निकली।

इस नए मॉडल को ऑपरेशन शक्ति का नाम दिया गया है और अब इस पर हर जगह काम किया जा रहा है। अमित शाह और कांग्रेस के डेटा विश्लेषण का काम संभालने वाले पूर्व निवेश बैंकर प्रवीण चक्रवर्ती के बीच की जंग अब दो लाख मतदान केंद्रों पर डेटा के वैज्ञानिक इस्तेमाल के साथ लड़ी जाएगी।

मूल रूप से, चुनाव अब स्थानीय होने जा रहे हैं और जो भूमिका इतिहास में टेलीविजन की थी, वही सोशल मीडिया की 2014 और उसके बाद रही है। हाल तक कांग्रेस की पुरानी पीढ़ी जिसे बकवास मानती थी, उत्तर और मध्य के तीन राज्यों में डिजिटल उपकरणों के इस्तेमाल और डेटा विश्लेषण के कन्सेप्ट से हासिल उपलब्धि के प्रमाण ने 24, अकबर रोड की मानसिकता बदल दी है।

डेटा के इस्तेमाल की एक मिसाल कांग्रेस के वाररूम से राजस्थान के भेर गांव की एक लाइव विजिट कही जा सकती है, जहां केवल 2146 मतदाता हैं, दो बूथ हैं, 321 घर हैं और जहां नौ राम, तीन चंद्र और एक मोहम्मद हैं। इन परिवारों की आय, इनकी सदस्य संख्या, मोबाइल नंबर आदि तत्परता से समानुक्रमित होते हैं और फिर इन्हें फैलाया जाता है। ऐसे ही नागौर में और फिर राजस्थान में, ऐसी ही मैपिंग विधानसभा चुनावों के लिए की जाती है।

फिर, यह पाया जाता है कि 26 फीसदी मुस्लिम हैं, 19 फीसदी जाट हैं, 17 फीसदी अनुसूचित जाति के हैं, 10 फीसदी ब्राह्मण हैं और 10 फीसदी महाजन हैं। नाम और नंबर को समानुक्रमित किया जाता है। कुछ लोगों को सीधे राहुल गांधी फोन करते हैं, सीधे संबंध बनाने की कोशिश की जाती है। जाति गणना और इसकी औपचारिक चीरफाड़ शुरू होती है।

वर्ष 2014 के बाद से एक के बाद दूसरे चुनाव में पार्टी के किनारे पड़ते जाने के बाद, ऑपरेशन शक्ति की आठ महीने पहले शुरुआत हुई।

गोल्डमैन सैक्स वाल स्ट्रीट के पूर्व बैंकर प्रवीण चक्रवर्ती इससे पहले यूआईएडीआई में नंदन नीलेकणि और फिर मनमोहन सिंह के पीएमओ में काम कर चुके हैं। वह अब राहुल गांधी की रणनीतिक योजना के नए सेंट्रीफ्यूज के रूप में उभरे हैं।

डेटा वैज्ञानिक प्रवीण चक्रवर्ती व्हार्टन से पढ़े हैं और ‘चकी’ के नाम से अधिक जाने जाते हैं। उनका मानना है कि पुराने समय में जिस अंदाज में चुनाव लड़ा जाता था, उसका अब अस्तित्व मिट चुका है।

राहुल गांधी ने नवंबर, 2017 में कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने के तुरंत बाद चकी की सेवाएं लेनी शुरू कर दीं और अगले साल मार्च में चकी पार्टी की आर्थिक प्रस्तावना ड्राफ्ट कमेटी में थे।

इसके तुरंत बाद पाइलट प्रोजेक्ट के रूप में ऑपरेशन शक्ति शुरू किया गया। मकसद कार्यकर्ताओं और मतदाताओं से जुड़ना, उन्हें दो ध्रुवीय राजनीति के बारे में और कांग्रेस को नए सिरे से सजाने-संवारने के बारे में शिक्षित करना और उन्हें स्फूर्ति से भरना है।

लोगों को बताया गया कि कांग्रेस एक ऐसे बड़े तंबू की तरह है, जिसमें सभी को समाने की क्षमता है और इसे पूर्ण रूप से समावेशी संगठन की तरह देखा जाना चाहिए। अब डेटा विश्लेषण विभाग के चेयरमैन चकी वह यंत्र हैं जिसे राहुल गांधी लोगों के घर में सहज रूप से दाखिल होने के लिए एक तीक्ष्ण रैम की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।

लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का हरावल होगा ‘ऑपरेशन शक्ति’ (आईएएनएस विशेष भाग-1) Reviewed by on . नई दिल्ली, 21 जनवरी (आईएएनएस)। नया समय नए औजारों की मांग करता है। डिजिटल और सामाजिक यथार्थ ने जिन नई सच्चाइयों को जन्म दिया है, उनसे सामना नहीं करने वाले की स्थ नई दिल्ली, 21 जनवरी (आईएएनएस)। नया समय नए औजारों की मांग करता है। डिजिटल और सामाजिक यथार्थ ने जिन नई सच्चाइयों को जन्म दिया है, उनसे सामना नहीं करने वाले की स्थ Rating:
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