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संरचनागत अवरोध विकास के लिए बाधा : डब्ल्यूटीओ

जेनेवा, 4 जून (आईएएनएस)। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने भारत की तेज विकास दर के सामने संरचनागत अवरोध को एक मुख्य बाधा बताया है।

2-4 जून को भारत की व्यापार नीति की समीक्षा रपट में डब्ल्यूटीओ ने कहा, “अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) हासिल करने के लिए एफडीआई की अनुमति वाले क्षेत्रों की संख्या बढ़ा दी गई है। बीमा और रेल जैसे कई क्षेत्रों में एफडीआई सीमा बढ़ाई गई है।”

रपट में हालांकि यह भी कहा गया है, “जैसा कि सरकार ने खुद माना है कि उच्च विकास दर हासिल करने की राह में संरचनागत अवरोध एक प्रमुख बाधा बनी हुई है।”

रपट के मुताबिक, “इसमें शामिल है परियोजना मंजूरी में देरी, सब्सिडी का सही तरीके से लक्षित नहीं होना, भूमि अधिग्रहण की कठिनाई, खराब परिवहन नेटवर्क और बिजली आपूर्ति, कठोर श्रम नियम तथा दक्षता की कमी।”

डब्ल्यूटीओ नियमित तौर पर सदस्य देशों की व्यापार नीतियों की समीक्षा करता रहता है।

भारत डब्ल्यूटीओ के शुरुआती सदस्य देशों में है और यह अन्य सदस्य देशों के साथ सर्वाधिक तरजीही देश (एमएफएन) जैसा व्यवहार करता है।

रपट में हालांकि यह भी कहा गया है कि इन अवरोधों को दूर करने के लिए भारत सरकार कई कदम उठा रही है।

जेनेवा में भारतीय नीति की समीक्षा के दौरान अमेरिका के डिप्टी मिशन प्रमुख क्रिस्टोफर विल्सन ने कहा, “भारत सरकार ने कहा है कि विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए वह और अधिक कोशिश कर सकती है। कर, भूमि अधिग्रहण और श्रम मामले में किए जा रहे कई सुधारों से हम उत्साहित हैं।”

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