नई दिल्ली, 21 दिसम्बर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की पूरी घटना को सैन्य खुफिया विभाग ने कैमरे में कैद किया था, जो तत्कालीन रक्षा मंत्री शरद पवार के आदेश पर किया गया था।
पवार ने कहा कि उन्हें बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि विश्व हिंदू परिषद द्वारा किए गए ‘कार सेवा’ के आह्वान पर क्या होने वाला है।
पवार ने बताया कि उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव से कड़ा रुख अख्तियार करने के लिए कहा था, लेकिन राव बल प्रयोग के पक्ष में नहीं थे।
पवार ने हाल ही में प्रकाशित हुई अपनी आत्मकथा ‘ऑन माई टर्म्स’ में इन बातों का खुलासा किया है।
पवार अपनी आत्मकथा में लिखते हैं, “मैंने सुझाव दिया कि हमें विवादित स्थल पर एहतियाती कदम उठाते हुए सैन्य टुकड़ियां तैनात किया जाए, लेकिन उन्होंने (राव) मेरे सुझाव को ठुकरा दिया। जब मेरा सुझाव ठुकरा दिया गया तो मैंने सेना की खुफिया इकाई को छह दिसंबर को होने वाली पूरी घटना को फिल्माने का आदेश दिया।”
पवार आगे कहते हैं, “इस वीडियो में ‘कार सेवकों’ द्वारा विवादित बाबरी ढांचे को गिराए जाने के विभिन्न हिस्सों को फिल्माया गया है और नेताओं द्वारा कार सेवकों को उकसाए जाने को भी शूट किया गया है।”
गौरतलब है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख उस समय कांग्रेस के सदस्य थे।
पवार ने लिखा है, “बाबरी प्रकरण ने नरसिम्हा राव की एक नेता के तौर पर कमजोरी को उजागर कर दिया। निश्चित तौर पर वह नहीं चाहते थे कि विवादित ढांचा ढहाया जाए, लेकिन उन्होंने इसे रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए।”
पवार के अनुसार, तत्कालीन गृह सचिव ने राव को ब्योरेवार ढहाए जाने की पूरी घटना का विवरण दिया था और उस बैठक में प्रधानमंत्री ‘ऐसे बैठे थे, जैसे वह किसी अवसाद में हों’।