Monday , 29 April 2024

Home » धर्म-अध्यात्म » सोच में नकारात्मकता अनुचित

सोच में नकारात्मकता अनुचित

thinkingशेख सादी अपने अब्बा के साथ हजयात्रा पर निकले। मार्ग में वे विश्राम करने के लिए सराय में रुके। शेख सादी का नियम था कि वह रोज सुबह उठकर अपने नमाज इत्यादि के क्रम को पूर्ण करते थे। जब वह सुबह उठे तो उन्होंने देखा कि सराय में ज्यादातर लोग सोए हुए हैं। शेख सादी को बड़ा क्रोध आया।

क्रोध में उन्होंने अपने अब्बा से कहा, ‘‘अब्बा हजूर! यह देखिए! ये लोग कैसे जाहिल और नाकारा हैं। सुबह का वक्त परवरदिगार को याद करने का होता है और ये लोग इसे किस तरह बर्बाद कर रहे हैं। इन्हें सुबह उठना चाहिए।’’

शेख सादी के अब्बा बोले, ‘‘बेटा! तू भी न उठता तो अच्छा होता। सुबह उठ कर दूसरों की कमियां निकालने से बेहतर है कि न उठा जाए।’’

बात शेख सादी की समझ में आ गई। उन्होंने उसी दिन से निर्णय किया कि वह अपनी सोच में किसी तरह की नकारात्मकता को जगह नहीं देंगे। अपनी इसी सोच के कारण शेख सादी महान बने।

सोच में नकारात्मकता अनुचित Reviewed by on . शेख सादी अपने अब्बा के साथ हजयात्रा पर निकले। मार्ग में वे विश्राम करने के लिए सराय में रुके। शेख सादी का नियम था कि वह रोज सुबह उठकर अपने नमाज इत्यादि के क्रम शेख सादी अपने अब्बा के साथ हजयात्रा पर निकले। मार्ग में वे विश्राम करने के लिए सराय में रुके। शेख सादी का नियम था कि वह रोज सुबह उठकर अपने नमाज इत्यादि के क्रम Rating:
scroll to top