भोपाल, 28 मई (आईएएनएस)। केंद्र प्रवर्तित योजनाओं की समीक्षा के लिए नीति आयेाग के तहत बनाए गए उपसमूह के प्रमुख मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को कहा कि वर्तमान में चल रही योजनाओं में और कटौती संभव है।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित उपसमूह की बैठक के बाद संवाददाताओं से चर्चा करते हुए चौहान ने कहा कि यूपीए सरकार के काल में केंद्र प्रवर्तित 147 योजनाएं चलती थीं, इनमें कुछ योजनाओं में तो नाम मात्र यानी पांच से 10 करोड़ का ही बजट हुआ करता था, इतना ही नहीं सभी योजनाएं हर राज्य के लिए व्यवहारिक नहीं होती थी, यही कारण है कि इन येाजनाओं में कटौती कर इन्हें कम करके 66 कर दिया गया है।
चौहान ने आगे कहा कि 66 योजनाओं को आवश्यकता के अनुसार तीन श्रेणियों0 में बांटा गया है। पहली श्रेणी में 17 योजनाएं हैं, जिनमें मनरेगा जैसी योजना है। वहीं दूसरी श्रेणी में 33 योजनाएं हैं। इनके फंड पैटर्न में राज्य बदलाव चाहते हैं। वहीं तीसरी श्रेणी में 17 वे योजनाएं हैं, जिन्हें बंद किया जा सकता है या राज्य की मर्जी पर निर्भर रहे। इनके लिए केंद्र सरकार की ओर से राशि का प्रावधान हो, ऐसा राज्य चाहते हैं। संभव है कि योजनाओं की संख्या घटकर 25 से 27 रह जाए।
उन्होंने आगे बताया कि केंद्र सरकार द्वारा पूर्व में ऐसी योजनाएं बनाई जाती थीं, जो सभी राज्यों के लिए महत्वपूर्ण नहीं होती थी, मसलन मनरेगा मध्य प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण थी तो पंजाब के लिए उसका ज्यादा महत्व नहीं था। इसलिए जरूरी हो गया है कि राज्यों की प्राथमिकता व आवश्यकता को देखकर योजनाएं बनाई जाएं।
केंद्र प्रवर्तित योजनाओं के लिए मिलने वाले सवाल पर उन्होंने कहा कि पूर्व में राज्यों को केंद्रीय करों का 32 प्रतिशत हिस्सा मिलता था, योजना आयोग की सिफारिश पर इसे बढ़ाकर 42 प्रतिशत किया जा रहा है, इससे मध्य प्रदेश जैसे राज्य को मिलने वाली राशि में लगभग 14 हजार करोड़ रुपये का इजाफा होगा और वह बढ़कर 42 हजार करोड़ पर पहुंच जाएगी।
एक सवाल के जवाब में चौहान ने कहा कि उपसमूह की तीन बैठकें हो चुकी हैं, विभिन्न राज्यों लगभग सभी मामलों में एकमत है, सात जून तक तमाम सुझावों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा, उसके बाद 13 जून को दिल्ली में होगी। संभवत: 20 जून को उपसमूह अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री को सौंप देगा।