पणजी, 17 सितम्बर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मेक इन इंडिया अभियान तभी सफल होगा, जब भारत में निर्मित उत्पाद विश्वसनीय होगा। यह बात नकली माल रोधी समाधान से संबंधित विनिर्माताओं के एक राष्ट्रीय संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कही।
पणजी, 17 सितम्बर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मेक इन इंडिया अभियान तभी सफल होगा, जब भारत में निर्मित उत्पाद विश्वसनीय होगा। यह बात नकली माल रोधी समाधान से संबंधित विनिर्माताओं के एक राष्ट्रीय संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कही।
ऑथेंटिकेशन सोल्यूशन प्रोवाइडर्स एसोसिएशन (एएसपीए) की भारतीय इकाई की गोवा में सालाना आम बैठक के बाद इसके अध्यक्ष यू.के. गुप्ता ने आईएएनएस से यह भी कहा कि होलोग्राम और टेंपर-प्रूफ सील जैसी सरल और सस्ती तकनीक के जरिए उत्पादों के प्रमाणन से देश में हर साल अरबों रुपये की बचत की जा सकती है।
उन्होंने कहा, “मेक इन इंडिया अभियान की पूर्णता के लिए उत्पादों के प्रमाणन की जरूरत है। यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि भारत में निर्मित उत्पाद उपभोक्ताओं को आपूर्ति होने तक सर्वोच्च गुणवत्ता वाला हो।”
गुप्ता ने फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के हवाले से कहा कि 2013-14 में नकल के कारण पैकेज्ड उत्पाद बेचने वाली तेज खपत उपभोक्ता वस्तु (एफएमसीजी) कंपनियों को 21,957 करोड़ रुपये (3.3 अरब डॉलर) का नुकसान हुआ।
गुप्ता के मुताबिक, एफएमसीजी, मोबाइल फोन, अल्कोहलिक पेय, तंबाकू, वाहन उपकरण और कंप्यूटर हार्डवेयर उत्पादों की निर्माता कंपनियों को 2013-14 में नकल के कारण कुल 1,05,381 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
देश में करीब 70 प्रमाणन समाधान प्रदाता कंपनियां एएसपीए की सदस्य हैं। एएसपीए इंटरनेशनल होलोग्राम मैन्यूफैक्च र्स एसोसिएशन (आईएचएमए), काउंटरफीट इंटेलीजेंस ब्यूरो (सीआईबी) और इंटरपोल जैसे वैश्विक संगठनों से भी मान्यताप्राप्त है। एएसपीए सदस्य दुनियाभर में असली उत्पादों की पहचान कर 10 हजार से अधिक ब्रांडों की सुरक्षा करते हैं।
उन्होंने कहा, “भारत में 22 से अधिक राज्य हर साल शराब की बोतलों पर करीब 2000 करोड़ सुरक्षा होलोग्राम का इस्तेमाल करते हैं। इसके कारण छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश ने न सिर्फ नकली शराब पर काबू पाया, बल्कि आबकारी शुल्क से होने वाली आय भी सालाना आधार पर 15-20 फीसदी बढ़ाई।”