कोलकाता, 16 फरवरी (आईएएनएस)। अरबपति हीरा व्यापारी नीरव मोदी की कंपनियों द्वारा किए गए 1.8 अरब डॉलर के घोटाले के कारण आभूषण व्यापारियों और निर्यातकों को यह डर सता रहा है कि उद्योग को मिलने वाले ऋण पर असर पड़ सकता है, क्योंकि ऋणदाता अधिक सर्तकता बरतेंगे। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस धोखाधड़ी के मद्देनजर समूचे रत्न और आभूषण उद्योग को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए और न ही इस उद्योग को ‘जोखिम वाले उद्योग’ के रूप में देखा जाना चाहिए।
पंजाब नेशनल बैंक ने 11,515 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की बात स्वीकार की है, जिसमें मोदी की कंपनियों का हाथ था। यह धोखाधड़ी बैंक की मुंबई स्थित फ्लैगशिप शाखा में की गई, जो भारत में ऋण प्रदान करनेवाली बैंक की दूसरी सबसे बड़ी शाखा है।
रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के क्षेत्रीय अध्यक्ष (पूर्वी क्षेत्र) प्रकाश चंद्र पिंचा ने बताया, “इस घोटाले का व्यापक असर होगा और ऋणदाताओं के दिमाग पर भी मनोवैज्ञानिक प्रभाव होगा, जब भी कोई बैंक अब इस कारोबार को ऋण देगा तो वह अधिक सतर्क होगा कि कहीं कोई धोखाधड़ी की संभावना तो नहीं है। इस उद्योग में ऋण का प्रवाह प्रभावित होगा और उद्योग के विस्तार में देरी होगी।”
उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि एक आदमी द्वारा किए गए घोटाले के कारण पूरे उद्योग को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए।